डिजिटल डेस्क- भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्यरत प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में उन्नाव में दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ। आधुनिक समय में अंग्रेज़ी लेखन और अनुवाद की भूमिका को समझने तथा युवा लेखकों को मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से आयोजित इस विशेष सेमिनार में कहानी कहने की बदलती शैली, नए प्रयोग, और समकालीन साहित्यिक प्रवृत्तियों पर विस्तृत चर्चा हुई। इस राष्ट्रीय सेमिनार का मुख्य विषय “स्टोरीटेलिंग इन इंग्लिश एंड ट्रांसलेशन्स: विज़न्स, रिविज़न्स एंड इनोवेशन्स” रखा गया, जिसके तहत चार थीम-आधारित सत्र आयोजित किए गए। इनमें आधुनिक कहानी कहने की तकनीकें, पुनर्कथन की प्रक्रिया, नई रचनात्मक विधाएँ और पौराणिक कथाओं के आधुनिक रूप जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विमर्श हुआ। कार्यक्रम में शोध–पत्र प्रस्तुतियाँ, कविता पाठ और संवाद सत्र भी शामिल रहे।

देशभर के विद्वान, शिक्षाविद, लेखक और शोधकर्ता रहे उपस्थित
उद्घाटन सत्र में देशभर से आए विद्वान, शिक्षाविद, लेखक और शोधकर्ता उपस्थित रहे। इस अवसर पर षणमुखानंद, उप सचिव, साहित्य अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने भारतीय कथा–परंपरा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाभारत, रामायण, पंचतंत्र से लेकर लोककथाओं तक भारत में कहानियाँ हमेशा से ज्ञान, संस्कृति और मूल्यों के संवाहक रही हैं। समय के साथ कहानी कहने के माध्यम बदले, और आज अंग्रेज़ी एवं अनुवाद के जरिए भारतीय कथाएँ वैश्विक पटल पर पहुँची हैं। चर्चा सत्रों में वक्ताओं ने कहा कि कहानी कहने की कला सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति को आगे बढ़ाने, भावनाओं को व्यक्त करने और समाज को समझने का एक प्रभावी माध्यम है। साहित्य में हो रहे नए प्रयोग और अनुवाद की भूमिका भविष्य की कथा-दुनिया को नए आयाम देने में सहायक होगी।

भाषाओं और संस्कृतियों के बीच संवाद को मजबूत करने वाला सेमिनार- वाइस चांसलर प्रो. डॉ. टी.पी. सिंह
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, यूपी के प्रो वाइस चांसलर प्रो. डॉ. टी.पी. सिंह ने कहा, “साहित्य अकादमी और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह सेमिनार भाषाओं और संस्कृतियों के बीच संवाद को मजबूत करने वाला महत्वपूर्ण प्रयास है। यह परंपरा और आधुनिकता के बीच सार्थक संवाद का मार्ग प्रशस्त करेगा। इस आयोजन में प्रो. अनीता सिंह (बीएचयू), प्रो. सुनीता मुर्मू (गोरखपुर), प्रो. ओंकार नाथ उपाध्याय (लखनऊ यूनिवर्सिटी), प्रो. देबज्योति विश्वास (बोडोलैंड यूनिवर्सिटी), प्रो. प्रकाश जोशी (इलाहाबाद यूनिवर्सिटी) सहित अन्य प्रमुख शिक्षाविद शामिल हुए। दो दिवसीय यह सेमिनार साहित्य जगत में उभरते रुझानों को समझने, युवा लेखकों को दिशा देने और विभिन्न भाषाओं के बीच सेतु निर्माण करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।