मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत आज, इस दिन जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, जीवन में आएगी सुख, शांति और समृद्धि!

KNEWS DESK- मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा, जो इस वर्ष 4 दिसंबर को मनाई जा रही है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ तिथि मानी जाती है। इसे वर्ष की अंतिम पूर्णिमा का दर्जा भी प्राप्त है, जिसके कारण इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु, चंद्र देव और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, इस बार पूर्णिमा गुरुवार को पड़ने के कारण सत्यनारायण भगवान की पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

मार्गशीर्ष माह को देवताओं का अत्यंत प्रिय माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। खासतौर पर गुरुवार के दिन होने वाली पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत का अत्यधिक महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा,चंद्र देव का अभिषेक,माता लक्ष्मी का आह्वान,सत्यनारायण कथा का पाठ करने से विशेष पुण्य लाभ मिलता है।

सत्यनारायण व्रत कथा का सार

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नारद मुनि ने पृथ्वी लोक में दुखी और कष्टों से घिरे लोगों को देखकर भगवान विष्णु से उपाय पूछा। तब भगवान विष्णु ने उन्हें सत्यनारायण व्रत की महिमा बताई। इस व्रत में श्रद्धापूर्वक पूजन, कथा-श्रवण और ब्राह्मणों को भोजन कराना शामिल है। नारद मुनि ने यह संदेश पृथ्वी के लोगों तक पहुँचाया, जिसके बाद यह व्रत सभी कष्टों का नाश करने वाला और मनोकामना पूर्ण करने वाला माना गया।

महर्षि अत्रि और माता अनुसूया की कथा

दूसरी प्रमुख कथा महर्षि अत्रि और उनकी सती पत्नी माता अनुसूया से संबंधित है। कहा जाता है कि उनकी तपस्या और सतीत्व की शक्ति की परीक्षा लेने के लिए त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश भिक्षुक रूप में उनके आश्रम पहुँचे। उन्होंने अनुसूया से कठिन शर्त रखी कि वह उन्हें निर्वस्त्र होकर भोजन कराएँ।

माता अनुसूया ने अपने सतीत्व-बल से त्रिदेवों को शिशु रूप में परिवर्तित कर दिया और उनकी शर्त पूरी की। उनकी इस असीम तपस्या से प्रसन्न होकर त्रिदेवों ने उन्हें वरदान दिया और दत्तात्रेय के रूप में पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। इसलिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान दत्तात्रेय की पूजा भी अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

क्या करें इस पूर्णिमा पर

  • सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु की पूजा व सत्यनारायण कथा सुनें।
  • चंद्र देव को अर्घ्य दें।
  • माता लक्ष्मी का विशेष पूजन करें।
  • ब्राह्मण या गरीबों को दान-दक्षिणा दें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और दिव्य कृपा का दिन है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ व्रत-पूजन करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन निश्चित माना जाता है।

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