इंडिगो में फ्लाइट कैंसिलेशन का संकट गहराया, देशभर के एयरपोर्ट्स पर हाहाकार, 200 से ज़्यादा उड़ानें रद्द

डिजिटल डेस्क- भारत की दिग्गज निजी एयरलाइन कंपनी इंडिगो इन दिनों अभूतपूर्व संकट से जूझ रही है। तकनीकी खराबी, स्टाफ की कमी और DGCA के नए नियमों के चलते फ्लाइट संचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गुरुवार को इंडिगो ने 100 से अधिक उड़ानें कैंसिल कीं, जबकि बीते दो दिनों में यह संख्या 200 के पार पहुंच गई है। दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और इंदौर समेत कई बड़े शहरों में यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लंबे इंतजार, रद्द उड़ानों और मैन्युअल प्रक्रियाओं के कारण एयरपोर्ट्स पर हालात अव्यवस्थित हो गए हैं। दिल्ली और हैदराबाद एयरपोर्ट पर सुबह से ही लंबी कतारें देखने को मिलीं। कई यात्री घंटों इंतजार करने के बाद अचानक उड़ान रद्द होने से भड़क उठे। सोशल मीडिया पर लोगों ने एयरलाइन की व्यवस्थाओं को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की है। बढ़ती मांग और घटती उड़ानों के कारण किराए में भी भारी उछाल आया है। दिल्ली-मुंबई सेक्टर का किराया 20,000 रुपये से ऊपर पहुंच गया है।

खराब मौसम, सिस्टम ग्लिच को बताया जिम्मेदार

इंडिगो ने बयान जारी कर खराब मौसम, सिस्टम ग्लिच और स्टाफ से जुड़े नए नियमों को संकट की वजह बताया है। कंपनी ने कहा कि अगले 48 घंटों में संचालन सामान्य हो जाएगा। वहीं फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने कंपनी के दावों को खारिज करते हुए कहा है कि इंडिगो की पुरानी नीतियां ही इसकी बड़ी वजह हैं। FIP का आरोप है कि एयरलाइन ने वर्षों से पायलटों की संख्या जरूरत से कम रखी, जिसके कारण नए हालात संभालना मुश्किल हो गया है। इस संकट का असर देश के लगभग हर बड़े एयरपोर्ट पर दिखाई दे रहा है, खासकर दिल्ली, बेंगलुरु, अहमदाबाद, वाराणसी, सूरत और इंदौर में अव्यवस्था चरम पर है। मैन्युअल चेक-इन, बैगेज ड्रॉप और सिक्योरिटी चेक में अतिरिक्त 25–40 मिनट लग रहे हैं।

नए नियम भी बन रहे रद्दीकरण की वजहें

इधर DGCA के नए नियम भी इस समस्या की एक बड़ी वजह माने जा रहे हैं। नए मानकों के अनुसार अब पायलटों को सप्ताह में 48 घंटे आराम अनिवार्य है, जो पहले 36 घंटे था। हेल्थ रिपोर्ट और थकान मॉनिटरिंग को भी सख़्ती से लागू किया गया है। एयरलाइनों को हर तीन महीने में पायलटों की थकान और उससे निपटने के उपायों की रिपोर्ट जमा करनी होगी। ये बदलाव पायलट सुरक्षा के लिए किए गए हैं, लेकिन स्टाफ की कमी से जूझ रहीं एयरलाइनों पर इसका दबाव बढ़ गया है।

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