KNEWS DESK – 1993 के बम ब्लास्ट केस और आर्म्स एक्ट मामले से जुड़ी उथल-पुथल आज भी संजय दत्त की जिंदगी का सबसे कठिन दौर माना जाता है। आर्म्स एक्ट में पांच साल की सजा पूरी कर चुके संजय दत्त ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में उस समय की यादें ताज़ा कीं और बताया कि कैसे बिना गन बरामद हुए उन्हें दोषी करार दिया गया।
“मेरे पास से गन नहीं मिली… फिर भी सजा दे दी”
संजय दत्त ने बताया कि 1993 के मामले ने उनके पूरे परिवार को हिला कर रख दिया था। उनका कहना था, “मेरे पिता को धमकियां मिल रही थीं, मेरी बहनों को धमकियां दी जा रही थीं। उन्होंने कहा था कि मेरे पास गन थी, पर वो इसे साबित नहीं कर सके। पता नहीं उन्हें ये समझने में 25 साल क्यों लग गए। फिर भी मुझे गन मिले बिना ही आर्म्स एक्ट में सजा सुना दी गई।”
संजय का कहना था कि जांच एजेंसियों को यह समझने में इतना लंबा समय नहीं लगना चाहिए था कि न तो वे TADA और न ही बम ब्लास्ट केस का हिस्सा थे।
जेल में धर्म और कानून की पढ़ाई
संजय दत्त ने बताया कि जेल में बिताए गए सालों ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया। उन्होंने कहा, “मैंने इसे जिंदगी का हिस्सा समझा और इससे बहुत कुछ सीखा। मैंने अपने धर्म के बारे में पढ़ाई की और साथ ही कानून की भी कई किताबें पढ़ीं। देश के कानून को समझा।” जेल में उन्होंने अपने दिनों को आत्मसम्मान और अनुशासन के साथ बिताने की कोशिश की।
संजय दत्त के मुताबिक वे कोर्ट से बार-बार सिर्फ यही कहते रहे कि केस की सुनवाई तेज़ की जाए। “मैंने जेल में कई लोगों को सड़ते देखा था… मेरी बस यही गुज़ारिश थी कि मामला जल्दी खत्म किया जाए, चाहे फैसला जो भी हो।”
जेल में रेडियो स्टेशन चलाया, की मजदूरी
अपनी जेल की जिंदगी को याद करते हुए उन्होंने बताया कि खुद को व्यस्त रखने के लिए उन्होंने कई काम किए| मजदूरी, जेल का अपना रेडियो स्टेशन “Radio YCP” शुरू करना, शो की स्क्रिप्ट लिखने में साथी कैदियों की मदद, पढ़ाई और आध्यात्मिकता, उन्होंने बताया कि रेडियो स्टेशन की स्क्रिप्ट लिखने में उनके साथी कैदी उनकी मदद करते थे, जिससे वह हर दिन कुछ नया सीख पाते थे।