शिव शंकर सविता- भारत की अगली जनगणना को लेकर केंद्र सरकार ने मंगलवार (2 दिसंबर) को लोकसभा में बड़ा अपडेट दिया। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के लिखित प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि 2027 में होने वाली जनगणना दो चरणों में संपन्न होगी। इसमें पहली बार बड़े पैमाने पर डिजिटल माध्यम और जातिवार गणना को शामिल किया जाएगा, जिससे डेटा अधिक सटीक और व्यापक होगा। नित्यानंद राय ने जानकारी दी कि जनगणना का पहला चरण अप्रैल 2026 से सितंबर 2026 के बीच आयोजित किया जाएगा। इस चरण में मकान सूचीकरण और आवास की गणना की जाएगी। यही आधार दूसरे चरण की आबादी गणना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
दूसरा चरण: फरवरी 2027 में आबादी की गणना
दूसरे चरण में देश की आबादी की गणना की जाएगी, जो फरवरी 2027 में प्रस्तावित है। जनगणना की ‘संदर्भ तिथि’ 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि होगी। हालांकि, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फ से ढके दुर्गम इलाकों में यह गणना पहले ही सितंबर 2026 में की जाएगी। इन क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 की मध्यरात्रि तय की गई है। गृह राज्य मंत्री ने बताया कि भारत में जनगणना का इतिहास 150 वर्षों से अधिक पुराना है। हर नई जनगणना में पिछली जनगणनाओं के अनुभवों, तकनीकी बदलावों और डेटा उपयोगकर्ताओं के सुझावों को ध्यान में रखते हुए प्रश्नावली को अंतिम रूप दिया जाता है। अलग-अलग मंत्रालयों, विभागों और संस्थाओं से मिले सुझावों पर भी विचार किया जाता है।
पहली बार डिजिटल और ऐप-आधारित जनगणना
सरकार ने स्पष्ट किया कि 2027 की जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। जनगणना कर्मचारी मोबाइल ऐप के माध्यम से डेटा एकत्र करेंगे, जबकि नागरिकों को स्व-गणना यानी स्वयं डेटा भरने की सुविधा भी ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी। इसका उद्देश्य प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाना है। यह भी जानकारी दी गई कि 30 अप्रैल 2025 को राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCPA) द्वारा लिए गए निर्णय के तहत इस बार जनगणना में जातिवार गणना भी की जाएगी। यह कदम सामाजिक-आर्थिक नीतियों के निर्माण में अहम माना जा रहा है।