उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, कांग्रेस हाईकमान की बैठक में प्रदेश नेताओं को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप तैयार कर काम करने को कहा गया है। जनहित के मुद्दों को लेकर कार्यकर्ताओं को आम लोगों के बीच पहुंच बनाने के लिए भी कहा गया। उत्तराखंड में 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति पर कांग्रेस हाईकमान ने मंथन शुरू कर दिया है। सोमवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व नेता विपक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश नेताओं के साथ बैठक कर तैयारियों पर फीडबैक लिया। बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे व राहुल गांधी ने राज्य के विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से राज्य में पार्टी की गतिविधियों व कार्यक्रमों के बारे में जानकारी ली। खरगे व राहुल गांधी ने प्रदेश नेताओं को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप तैयार कर काम करने को कहा। जनहित के मुद्दों को लेकर कार्यकर्ताओं को आम लोगों के बीच जाना होगा। मकसद साफ है अग्रमी विधानसभा 2027 की जीत को किसी भी हाल में जितना वही भाजपा सही अन्य दल भी अपनी तैयारियों का दावा कर रहे है.इस बीच एक बार भाजपा सरकार में मंत्री मंडल में खाली पड़े पदों को भरने की बात भी की जा रही है.भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्दर भट्ट का मानना है.इस विषय पर मुख्यमंत्री से बैठक हो गई है.जल्द इस संदर्भ में हाईकमान की ओर से अहम बैठक बुलाई जानी है,सम्भवता संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इस पर फैसला हो जायेगा।आपको बता दें कि धामी मंत्रिमंडल में 5 सीटें खाली चल रही है. क्योंकि, साल 2022 में सीएम धामी के नेतृत्व में सरकार का गठन होने के बाद से ही 3 सीटें खाली चल रही थी, लेकिन साल 2023 में कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास का निधन और 16 मार्च 2025 को कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा दिए जाने के चलते वर्तमान समय में धामी मंत्रिमंडल में कुल 5 सीटें खाली चल रही है.वही कांग्रेस ने लम्बे समय से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर धामी सरकार से जवाब माँगा है कि मंत्रिमंडल का विस्तार अभी तक क्यों नहीं हुआ, इसका जवाब मुख्यमंत्री को देना चाहिए. इसके साथ ही बीजेपी विधायक बेकाबू हो रहे हैं, इसका जवाब भी सीएम को देना चाहिए और मंत्रिमंडल विस्तार न होने से प्रदेश को कितना नुकसान हुआ है, इसका जवाब भी उन्हें देना होगा.ऐसे में फिर एक बार मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जुबानी जंग जारी है.कांग्रेस भी सरकार की कमियों को जनता तक पहुंचने साथ ही चुनावी तैयारी में जोरो शोरो से जुट चुकी है.
उत्तराखंड में सभी राजनैतिक दलों की 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी जोरो शोरो से शुरू हो गई है.सोमवार को नई दिल्ली में कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व नेता विपक्ष राहुल गांधी ने प्रदेश नेताओं के साथ बैठक कर तैयारियों पर फीडबैक लिया। बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे व राहुल गांधी ने राज्य के विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। पार्टी के शीर्ष नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल से राज्य में पार्टी की गतिविधियों व कार्यक्रमों के बारे में जानकारी ली। खरगे व राहुल गांधी ने प्रदेश नेताओं को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रोडमैप तैयार कर काम करने को कहा।ताकि 2027 को प्रदेश में जीता जा सके,वही दूसरी ओर भाजपा भी 27 के चुनाव को लेकर पहले से ही तैयार है,कार्यकर्ताओं और अपने विधायकों को खुश करने के लिए बड़ा तोफा देने जा रही है मकसद सिर्फ जीत, इस बीच एक बार भाजपा सरकार में मंत्री मंडल में खाली पड़े पदों को भरने की बात भी की जा रही है.भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का मानना है.इस विषय पर मुख्यमंत्री से बैठक हो गई है.जल्द इस संदर्भ में हाईकमान की ओर से अहम बैठक बुलाई जानी है,सम्भवता संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इस पर फैसला हो जायेगा।
आपको बता दें कि धामी मंत्रिमंडल में 5 सीटें खाली चल रही है. क्योंकि, साल 2022 में सीएम धामी के नेतृत्व में सरकार का गठन होने के बाद से ही 3 सीटें खाली चल रही थी, लेकिन साल 2023 में कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास का निधन और 16 मार्च 2025 को कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा दिए जाने के चलते वर्तमान समय में धामी मंत्रिमंडल में कुल 5 सीटें खाली चल रही है.वही कांग्रेस ने लम्बे समय से मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर धामी सरकार से जवाब माँगा है कि मंत्रिमंडल का विस्तार अभी तक क्यों नहीं हुआ,वही भाजपा भी इस जुबानी जंग में कांग्रेस की शीर्ष नेताओं से हुई दिल्ली बैठक को लेकर कटाक्ष कर रही है.
बिहार चुनाव के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया जा सकता है. इसके बाद से ही बीजेपी विधायकों के दिल की धड़कनें बढ़ी हुई है. साथ ही नेता मंत्री पद पाने के लिए दिल्ली दौड़ के साथ ही एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं. उत्तराखंड में साल 2027 में विधानसभा का चुनाव होना है, उससे पहले मंत्रिमंडल का विस्तार काफी महत्वपूर्ण भी माना जा रहा है. बीजेपी के रणनीतियों पर बात करें तो साल 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले यानी साल 2021 में नेतृत्व परिवर्तन कर दिया गया था. ताकि, एंटी इनकंबेंसी को दूर किया जा सके. ऐसे में आगामी 2027 से पहले 2026 में मंत्रिमंडल का विस्तार की चर्चाएं काफी ज्यादा तेज है. क्योंकि, अगर विधानसभा चुनाव से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होता है, तो ऐसे में समय-समय पर नेतृत्व परिवर्तन की उठने वाली सुगबुगाहट पर न सिर्फ विराम लगेगी. बल्कि, नाराज चल रहे नेताओं को भी मनाने में सरकार कामयाब हो जाएगी. जो आगामी विधानसभा चुनाव में संगठन के लिए काफी फायदेमंद भी साबित हो सकती है.लेकिन विपक्ष मंत्रिमंडल विस्तार में देरी होने पर सरकार फेलियर और जनता को धोखा देने की बात कर रहा है.साथ भाजपा की कमियों को 2027 के चुनाव में जनता के बीच चर्चाओं लेने की बात कर रहा है.अब देखने वाली बात यही है.क्या इन बड़ी पार्टियों के बदलाव साथ बैठकों का असर 2027 में कामयाबी दिलायेगा।