डिजिटल डेस्क- संसद के शीतकालीन सत्र में इस बार एक ऐतिहासिक और विशेष आयोजन होने जा रहा है। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में लोकसभा में लंबी और विस्तृत चर्चा की तैयारी की गई है। लोकसभा स्पीकर ओम बिर्ला ने इसके लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया है, जिसमें सभी दलों के सांसद इस राष्ट्रीय गीत के इतिहास, महत्व और स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका पर अपने विचार रखेंगे। यह विशेष चर्चा गुरुवार (3 दिसंबर) या शुक्रवार (4 दिसंबर) को आयोजित हो सकती है। तारीख को लेकर अंतिम निर्णय सदन की कार्यवाही पर निर्भर करेगा, लेकिन संबंधित तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं।
PM मोदी भी होंगे शामिल
इस चर्चा की सबसे खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं सदन में इस बहस में हिस्सा लेंगे और वंदे मातरम् की ऐतिहासिक यात्रा, राष्ट्रीय भावना और एकता के संदेश पर विस्तार से बोलेंगे। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा बुलाई गई ऑल-पार्टी मीटिंग और बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठकों में सभी पार्टियों ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से समर्थन दिया है। चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी दलों ने माना कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं बल्कि भारत की स्वाधीनता का प्रतीक, राष्ट्रीय चेतना का आधार और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। राज्यसभा में भी सत्तारूढ़ दल ने इस चर्चा के समर्थन में अपनी बात मजबूती से रखी। इसीलिए इस चर्चा में व्यापक भागीदारी की उम्मीद है।
सिर्फ गीत नहीं, एक संदेश
सरकार ने इस बहस को राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक विरासत को समझने का अवसर बताया है। माना जा रहा है कि चर्चा केवल गीत की व्याख्या तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि स्वाधीनता संग्राम में इसकी भूमिका, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के योगदान स्वतंत्र भारत में इसकी महत्ता, सांस्कृतिक और भावनात्मक एकता पर इसका प्रभाव। जैसे मुद्दे भी विस्तार से उठाए जाएंगे। 1875 में रचा गया वंदे मातरम् पहली बार 1882 में ‘आनंदमठ’ में प्रकाशित हुआ था। यह गीत आज़ादी के आंदोलन में क्रांतिकारियों और जन आंदोलनों की प्रेरणा बन गया था। आज, 150 साल बाद संसद में इसकी विरासत को याद किया जाना एक महत्वपूर्ण क्षण माना जा रहा है।