KNEWS DESK- देश में तेजी से बढ़ते डिजिटल अरेस्ट ठगी मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पूरे भारत में दर्ज ऐसे सभी मामलों की जांच CBI को सौंप दी है। साथ ही, हर राज्य की पुलिस को निर्देश दिया गया है कि वे केंद्रीय एजेंसी को पूरी तरह से सहयोग दें। सुप्रीम कोर्ट ने RBI को नोटिस जारी कर मामले में पार्टी भी बनाया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश देते हुए कहा कि कई राज्यों ने बताया है कि डिजिटल अरेस्ट ठगी में सबसे अधिक वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है। जालसाज अलग-अलग तरीकों से लोगों को धमकाते, फंसाते और लाखों रुपये ठग लेते हैं।
कोर्ट द्वारा नियुक्त एमाइकस ने इन धोखाधड़ियों को तीन श्रेणियों में बांटा है- डिजिटल अरेस्ट स्कैम, इन्वेस्टमेंट (निवेश) घोटाला, पार्ट-टाइम जॉब स्कैम। इन सभी मामलों में साइबर अपराधी धमकी, लालच और टारगेटेड फिशिंग का इस्तेमाल करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ राज्यों ने अब तक CBI को जांच की अनुमति नहीं दी है। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सभी राज्य CBI को सहमति दें, ताकि देशभर में एकीकृत और व्यापक जांच हो सके।
इन मामलों में कई बार अपराध का नेटवर्क भारत की सीमाओं से बाहर होता है, इसलिए कोर्ट ने CBI को जरूरत पड़ने पर इंटरपोल से सहायता लेने की भी अनुमति दी है।
कोर्ट ने कहा कि सिम कार्ड जारी करने में यदि लापरवाही पाई गई तो दूरसंचार विभाग को तुरंत कठोर कदम उठाने होंगे।
दूरसंचार विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह ऐसा मजबूत प्रस्ताव पेश करे, जिसे पूरे देश के सभी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को लागू करना होगा। इससे सिम कार्ड के दुरुपयोग और फर्जी पहचान के जरिए ठगी रोकने में मदद मिलेगी।