डिजिटल डेस्क- संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से एक भावुक और प्रेरक शुरुआत के साथ खुला, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति सीपी राधाकृष्णन के सम्मान में उनके जीवन संघर्ष, सरलता और समाजसेवा को याद किया। किसानों के साधारण परिवार से उठकर देश के सर्वोच्च पदों तक पहुंचने की उनकी यात्रा को पीएम मोदी ने भारतीय लोकतंत्र की सच्ची शक्ति और प्रेरणा का प्रतीक बताया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि यह सत्र महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा और महत्वपूर्ण निर्णयों का मंच बनेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि सभी सदस्य सदन की गरिमा बनाए रखेंगे और सभापति के मार्गदर्शन में उच्च सदन का कामकाज सुचारू रूप से चलेगा।
सीपी राधाकृष्णन एक साधारण और किसान परिवार से आते हैं- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि सीपी राधाकृष्णन एक साधारण और किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाजसेवा को समर्पित किया है और राजनीति उनके जीवन का सिर्फ एक पहलू रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि उनका यहां तक पहुंचना भारत के लोकतंत्र की ताकत और एक प्रेरणादायक उदाहरण है। पीएम मोदी ने बताया कि उन्होंने राधाकृष्णन को कई भूमिकाओं में करीब से देखा है एक कार्यकर्ता, सहयोगी, सांसद और बाद में राज्यपाल के रूप में भी। मोदी ने कहा कि वह हमेशा जरूरतमंदों की चिंता करने वाले व्यक्ति रहे हैं और कभी भी प्रोटोकॉल के मोह में नहीं पड़े। यह उनकी सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक है।
काशी दौरे का किया जिक्र
प्रधानमंत्री ने सदन को याद दिलाया कि कैसे कोयंबटूर में एलके आडवाणी की यात्रा से पहले हुए ब्लास्ट में सीपी राधाकृष्णन बाल-बाल बच गए थे। पीएम ने इसे एक ईश्वरीय कृपा बताया, जिसने उन्हें सुरक्षित रखा। मोदी ने एक निजी किस्से का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद जब राधाकृष्णन वाराणसी गए, तो उन्होंने बताया कि वह पहले नॉनवेज के शौकीन थे, लेकिन काशी की पावन भूमि पर पहुंचते ही उनके भीतर अचानक एक संकल्प जगा और उन्होंने जीवनभर शाकाहारी रहने का फैसला किया। पीएम ने कहा कि यह बात उनके लिए भी नई थी और यह आध्यात्मिक परिवर्तन उनकी संवेदनशीलता और विचारों की शक्ति दिखाता है।