KNEWS DESK- हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की पूजा करने और व्रत रखने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं तथा मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मोक्षदा एकादशी का महत्व
मोक्षदा एकादशी को आत्मशुद्धि, पापमोचन और मोक्ष प्राप्ति का श्रेष्ठ दिन माना गया है। इस दिन श्रद्धा व भक्ति के साथ भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है और हर प्रकार के संकट दूर होने लगते हैं। पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करना आवश्यक माना गया है। मान्यता है कि कथा सुनने या पढ़ने से मनुष्य जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति पाता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, गोकुल के राजा वैखानस को एक रात स्वप्न में अपने स्वर्गीय पिता के दर्शन हुए। राजा ने देखा कि उनके पिता नरक में कष्ट झेल रहे हैं। यह दृश्य देखकर राजा अत्यंत दुखी हुए और उन्होंने विद्वानों व मंत्रियों को बुलाकर उपाय पूछा। दरबारियों ने उन्हें पर्वत ऋषि से मिलने की सलाह दी।
राजा वैखानस जब पर्वत ऋषि के समक्ष पहुंचे, तो उन्होंने पूरी घटना बताई। ऋषि ने अपनी तपस्या से राजा के पिता के कर्मों को देखा और बताया कि उनके पापों के कारण उन्हें नरक का कष्ट मिल रहा है। राजा ने पिता की मुक्ति का उपाय पूछा तो ऋषि ने कहा—“राजन, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का व्रत करें और भगवान विष्णु के दामोदर स्वरूप की विधिवत पूजा करें। इस व्रत का पुण्य संकल्प करके अपने पिता को अर्पित कर दें। इससे उन्हें नरक से मुक्ति मिल जाएगी।”
राजा ने ऋषि के कहे अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान दामोदर की पूजा की। अगले दिन पारण के समय उन्होंने व्रत का पुण्य अपने पिता को समर्पित कर दिया। परिणामस्वरूप राजा के पिता को नरक से मुक्ति मिल गई और वे स्वर्गलोक को प्राप्त हुए।
मोक्ष का द्वार खोलने वाला व्रत
मोक्षदा एकादशी केवल पापमोचन ही नहीं, बल्कि आत्मउन्नति और मानसिक शांति का भी पर्व है। जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करता है, उसे दिव्य कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि यह व्रत व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलता है।