सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने किया साफ़ बयान, कहा- नेतृत्व विवाद पर एकजुट, न कोई मतभेद न कोई भ्रम

KNEWS DESK- कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबे समय से चल रही चर्चाओं और अटकलों के बीच शनिवार को सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने साझा प्रेस वार्ता कर एकजुटता का संदेश दिया। करीब एक घंटे चले नाश्ते के बाद दोनों नेताओं ने मीडिया से कहा कि कांग्रेस पार्टी एकजुट है और पार्टी आलाकमान जो भी तय करेगा, उसका पालन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स से पैदा हुई गलतफहमी अब दूर हो गई है। उन्होंने कहा “कल से कोई असमंजस नहीं रहेगा। अभी भी कोई असमंजस नहीं है। हमने तय किया है कि पार्टी आलाकमान जो भी तय करेगा, हम उसका पालन करेंगे।” “हमारा एजेंडा 2028 का विधानसभा चुनाव है। निकाय चुनाव भी अहम हैं। हमने 2028 में कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने पर चर्चा की। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है और भविष्य में भी कोई मतभेद नहीं होंगे।” उन्होंने विपक्षी पार्टियों भाजपा और जेडीएस पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों दल झूठी अफवाहें फैला रहे हैं। “वे हमारे संख्या का मुकाबला नहीं कर सकते। हमारे पास 140 विधायक हैं। यह एक बेकार की कोशिश है।”

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा “राज्य के लोग अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं। हम अपने वादों के मुताबिक काम कर रहे हैं और हाईकमान जो भी कहेगा, हम उसका पालन करेंगे। पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है।” “मुख्यमंत्री ने जो कहा, मैं उनके साथ हूं। हम मिलकर काम कर रहे हैं। पार्टी हाईकमान को मानते हैं। वे जो भी कहते हैं, वही हमारा फैसला है।” उन्होंने आगे कहा कि कर्नाटक कांग्रेस 2028 में सरकार दोहराएगी और मल्लिकार्जुन खरगे व राहुल गांधी के नेतृत्व में 2029 में भी आगे बढ़ेगी।

2023 के विधानसभा चुनावों के बाद से ही सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच सीएम पद को लेकर रस्साकसी चल रही थी। दिल्ली में पार्टी आलाकमान के समन्वय के बाद सिद्धारमैया को सीएम और शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाया गया। मीडिया में यह दावा किया गया कि 2.5 साल के लिए सीएम पद का रोटेशन समझौता हुआ था, लेकिन दोनों नेताओं और पार्टी ने इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार तब दो खेमों में बंटी नजर आई थी, कुछ विधायकों ने सिद्धारमैया का समर्थन किया तो कुछ शिवकुमार के समर्थन में खड़े हुए।

अब जबकि सिद्धारमैया का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है, नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलें फिर से तेज हो गई थीं, लेकिन शनिवार की प्रेस वार्ता ने इस पर विराम लगा दिया और पार्टी की एकजुटता दिखा दी।

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