KNEWS DESK- भारत आज संविधान दिवस मना रहा है, और इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को एक विस्तृत चिट्ठी लिखकर लोकतंत्र को मजबूत बनाने में नागरिकों की भूमिका पर जोर दिया। PM मोदी ने कहा कि भारत का संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि राष्ट्र के विकास का पवित्र मार्गदर्शक है, जिसने देश के हर नागरिक को समान अवसर और अधिकार प्रदान किए हैं।
अपने पत्र में प्रधानमंत्री ने संविधान की शक्ति का व्यक्तिगत उदाहरण देते हुए कहा कि इसी संविधान ने एक गरीब परिवार से आने वाले व्यक्ति को देश का प्रधानमंत्री बनने का अवसर दिया। PM मोदी ने याद किया कि 2014 में पहली बार संसद में प्रवेश करते समय उन्होंने सीढ़ियों पर सिर झुकाकर लोकतंत्र को नमन किया था, और 2019 में दोबारा संसद पहुंचने पर संविधान को सिर माथे लगाया था। उन्होंने कहा कि संविधान निरंतर देश को आगे बढ़ाता है और आम नागरिक से लेकर उच्च पदों तक सबको समान अवसर प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र में विशेष रूप से मतदान के अधिकार की अहमियत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हर नागरिक को लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मतदान अवश्य करना चाहिए। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूल और कॉलेज संविधान दिवस पर उन युवाओं को सम्मानित करें जो 18 वर्ष की उम्र पूरी कर पहली बार मतदाता बने हैं। इससे लोकतांत्रिक भागीदारी की प्रेरणा बढ़ेगी।
PM मोदी ने महात्मा गांधी के विचार का उल्लेख करते हुए कहा कि अधिकार, कर्तव्यों के पालन से उत्पन्न होते हैं। उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखें, क्योंकि आज लिए गए निर्णय आने वाली पीढ़ियों का भविष्य तय करेंगे।
प्रधानमंत्री ने संविधान दिवस पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. भीमराव अंबेडकर और संविधान सभा के सभी सदस्यों को याद किया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर की असाधारण दूरदृष्टि और संविधान सभा में महिला सदस्यों के योगदान ने भारतीय संविधान को समृद्ध और समावेशी बनाया।