KNEWS DESK- हर माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाने वाली विनायक चतुर्थी इस बार मार्गशीर्ष मास में सोमवार, 24 नवंबर 2025 को पड़ रही है। यह तिथि भगवान गणेश के विनायक स्वरूप की आराधना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर विघ्नहर्ता गणेश सभी दुख, बाधाएं और संकटों को दूर कर देते हैं।
विनायक चतुर्थी 2025: तिथि और समय
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 23 नवंबर शाम 7:24 बजे
- चतुर्थी तिथि समाप्त – 24 नवंबर रात 9:22 बजे
- विनायक चतुर्थी व्रत – 24 नवंबर (सोमवार)
भद्रा का साया: क्या पूजा पर होगा प्रभाव?
इस बार विनायक चतुर्थी के दिन सुबह 08:25 से रात 09:22 बजे तक भद्रा काल रहेगा, लेकिन इसकी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि भद्रा का वास इस दिन पाताल लोक में रहेगा, इसलिए इस अवधि का पूजा-पाठ पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। भक्त पूरे दिन निश्चिंत होकर भगवान गणेश का पूजन कर सकते हैं।
विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व
विनायक चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए किया जाता है। शास्त्रों में इसका अत्यंत महत्व बताया गया है: जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं। बुद्धि, धन, बल और सौभाग्य की प्राप्ति होती है छात्रों के लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना गया है। संतान प्राप्ति की मनोकामना भी पूर्ण होती है। परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
कैसे करें विनायक चतुर्थी की पूजा?
1. प्रातःकाल की तैयारी
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- व्रत का संकल्प लें।
2. गणेश जी का पूजन
- पूजन स्थान को स्वच्छ कर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- गणपति को सिंदूर, दूर्वा, अक्षत, पुष्प अर्पित करें।
- 21 मोदक या घी के लड्डू का भोग लगाएं।
- गणेश मंत्र—“ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें।
- आरती करें।
3. शाम की विधि
- संध्या के समय ‘विनायक चतुर्थी व्रत कथा’ का पाठ करें।
- प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें।
- जरूरतमंदों को दान करें।
विनायक चतुर्थी का यह पावन पर्व भक्तों के लिए शुभ अवसर लेकर आता है। भद्रा के बावजूद पूजा पर कोई बाधा नहीं होती, इसलिए श्रद्धालु पूरे नियम से भगवान गणेश की साधना कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। सच्चे मन से की गई पूजा जीवन में सौभाग्य, समृद्धि और खुशियां भर देती है।