‘बुलडोज़र जस्टिस’ के खिलाफ दिया गया फैसला मेरे करियर का सबसे अहम निर्णय- सीजेआई बीआर गवई

डिजिटल डेस्क- भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई 22 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए। उनके रिटायरमेंट के साथ वकील से लेकर देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक की उनकी तीन दशक लंबी यात्रा का महत्वपूर्ण अध्याय समाप्त हो गया। अदालत के अंदर आखिरी कार्यदिवस पर उन्हें जजों, वरिष्ठ वकीलों और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भावुक विदाई दी। उनके साथियों ने उनकी ईमानदारी, सरलता, न्याय के प्रति प्रतिबद्धता और डॉ. भीमराव अंबेडकर से प्रेरित न्यायिक दर्शन की सराहना की, जिसने कई ऐतिहासिक फैसलों की दिशा तय की। फेयरवेल कार्यक्रम में CJI गवई ने अपने कुछ सबसे महत्वपूर्ण फैसलों का उल्लेख किया। यह क़दम परंपरा से अलग था, क्योंकि आमतौर पर कोई भी चीफ जस्टिस विदाई समारोह में अपने फैसलों पर बात नहीं करते। गवई ने कहा कि अगर उनसे पूछा जाए कि उनके द्वारा लिखे गए फैसलों में सबसे अहम कौन सा है, तो वह निस्संदेह ‘बुलडोज़र जस्टिस’ के खिलाफ दिया गया फैसला है।

क्यों था यह फैसला इतना महत्वपूर्ण?

सीजेआई गवई ने कहा कि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप होने मात्र से उसके घर को गिराना कानून के बिल्कुल खिलाफ है। उन्होंने सवाल उठाया, जब कोई व्यक्ति दोषी माना भी जाए, तो उसके परिवार, उसके माता-पिता या बच्चों की क्या गलती है? रहने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, इसे बिना कानूनी प्रक्रिया के छीना नहीं जा सकता। उन्होंने इस फैसले को लोकतंत्र और संविधान की जड़ों को मजबूत करने वाला निर्णय बताया। यह पहला मौका नहीं था जब उन्होंने इस विषय पर खुलकर बात की। मॉरीशस में आयोजित एक कार्यक्रम में भी उन्होंने ‘बुलडोज़र शासन नहीं, कानून का शासन’ पर जोर देते हुए कहा था कि देश में न्याय व्यवस्था दबाव, प्रतिशोध या दंडात्मक दिखावे पर आधारित नहीं हो सकती। उन्होंने अपने 2024 के निर्णय का उल्लेख किया, जिसे आम तौर पर बुलडोज़र केस के नाम से जाना जाता है।

आरक्षण सब-क्लासिफिकेशन पर फैसले का भी हुआ ज़िक्र

सीजेआई गवई के कार्यकाल में एक और बड़ा फैसला सुर्खियों में रहा। राज्यों को एससी-एसटी वर्गों के भीतर सब-क्लासिफिकेशन की अनुमति देने का ऐतिहासिक निर्णय। उन्होंने कहा कि यह फैसला सामाजिक न्याय की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम है। विदाई समारोह में गवई ने कहा कि वह संतुष्ट हैं कि उन्होंने ऐसी न्यायिक विरासत छोड़ी है जो कमजोर वर्गों, हाशिए पर मौजूद समुदायों और संविधान के मूल मूल्यों की रक्षा करती रहेगी। उन्होंने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि न्यायपालिका का सबसे बड़ा आधार हमेशा संविधान, कानून का शासन और मानव गरिमा ही होगा।

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