डिजिटल डेस्क- आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) प्रमुख डॉ. मोहन भागवत गुरुवार से तीन दिवसीय मणिपुर दौरे पर हैं। मई 2023 में हुए जातीय संघर्ष के बाद यह उनका पहला दौरा है, जिसने इस यात्रा को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। इम्फाल में आयोजित संवाद और सभाओं में भागवत ने सामाजिक एकता, सभ्यतागत जुड़ाव और राज्य में स्थिर शासन की आवश्यकता पर जोर दिया। इम्फाल में एक संवाद कार्यक्रम के दौरान जब उनसे मणिपुर के राजनीतिक हालात पर सवाल पूछा गया, तो भागवत ने कहा कि वह आम तौर पर सरकार या दलगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते। लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा कि “मणिपुर में सरकार अवश्य होनी चाहिए और मेरी जानकारी के अनुसार इसके लिए प्रयास जारी हैं। फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है, ऐसे में संघ प्रमुख का यह बयान राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है।
आंतरिक शांति आने में लगेगा समय, बाहरी हालात जल्द सुधरेंगे
भागवत ने मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर बोलते हुए कहा कि विनाश दो मिनट में हो जाता है, लेकिन निर्माण में वर्षों लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में कठिन परिस्थितियों के बावजूद लोगों को विभाजन से बचाने के प्रयास लगातार जारी रहे।
उन्होंने यह भी कहा कि भौतिक शांति यानी हिंसा और संघर्ष का रुकना जल्द स्थापित हो सकता है, लेकिन मन की शांति और सामुदायिक विश्वास को वापस आने में समय लगेगा। “हम सभी को साथ लेकर चलेंगे और किसी की पहचान या परंपरा को नुकसान नहीं पहुंचने देंगे।
आरएसएस के दुष्प्रचार और कार्यशैली पर बोले भागवत
इम्फाल में आयोजित एक सभा में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ आज पूरे देश में चर्चा का विषय है, लेकिन अक्सर उसके बारे में पूर्वाग्रह और दुष्प्रचार फैलाया जाता है। उन्होंने संघ की तुलना किसी भी संगठन से न किए जाने की बात कहते हुए कहा कि जैसे समुद्र और आकाश की कोई तुलना नहीं, वैसे ही संघ की भी नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि आरएसएस समाज में सद्भाव, अनुशासन और राष्ट्र निर्माण के कार्य में लंबे समय से जुटा है। भागवत ने मणिपुर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यहां के लोग विशेष अवसरों पर पारंपरिक पोशाक पहनते हैं, अपनी स्थानीय भाषाओं का सम्मान करते हैं और अपनी सांस्कृतिक पहचान को जीवंत रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस सांस्कृतिक मजबूती को और बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने बताया कि मणिपुर में स्थिरता बहाल करने के लिए सामुदायिक और सामाजिक स्तर पर प्रयास लगातार किए जा रहे हैं।