KNEWS DESK- हिंदू पंचांग के अनुसार, विवाह पंचमी हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। यह अत्यंत शुभ और आध्यात्मिक महत्व वाला पर्व है। मान्यता है कि इसी दिन अयोध्यापति मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और जनकनंदिनी माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था। इसी दिव्य मिलन की स्मृति में यह पर्व आज भी पूरे उत्साह, भक्ति और आस्था के साथ मनाया जाता है।

इस वर्ष विवाह पंचमी का पर्व 25 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन श्रद्धालु राम–सीता की पूजा करते हैं और उनके दांपत्य जीवन के आदर्शों को स्मरण करते हुए अपने जीवन में शुभता की कामना करते हैं।
विवाह पंचमी पर विवाह क्यों नहीं किया जाता?
धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि विवाह पंचमी के दिन विवाह संस्कार संपन्न करना शुभ नहीं माना जाता। मान्यता है कि इस दिन विवाह करने पर वैवाहिक जीवन में संघर्ष और बाधाएं बढ़ सकती हैं। ऐसा विश्वास है कि इससे दांपत्य जीवन में माता सीता जैसे कष्ट और परीक्षाएं आ सकती हैं। इसलिए इस तिथि पर विवाह करने से परहेज किया जाता है।
विवाह पंचमी पर किए जाने वाले पांच शुभ कार्य
कन्यादान करें
शास्त्रों में कन्यादान को सर्वोच्च दान कहा गया है। विवाह पंचमी के दिन किसी निर्धन परिवार की बेटी का कन्यादान करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इससे परिवार पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
वृक्षारोपण करें
इस दिन पौधे लगाना पुण्यकारी माना गया है। राम–सीता के नाम पर लगाया गया पौधा घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है और प्रकृति माता का आशीर्वाद मिलता है।
दान करें
दान को हिंदू धर्म में श्रेष्ठ कर्म कहा गया है। विवाह पंचमी के दिन मंदिर, अनाथालय, वृद्धाश्रम या किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान देने से घर में अन्न-धन की कमी नहीं रहती।
भंडारा या अन्नदान करें
भूखे को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य माना गया है। इस दिन भंडारा करवाना या फिर किसी एक जरूरतमंद, पशु या पक्षी को अन्न प्रदान करना अत्यंत शुभ फल देता है।
भजन-कीर्तन और गंगा स्नान करें
विवाह पंचमी का दिन पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन और गंगा स्नान के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन श्रीराम–सीता के साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
विवाह पंचमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि श्रीराम–सीता के आदर्श वैवाहिक जीवन की प्रेरणा का दिन है। इस दिन किए गए सत्कर्म दान, अन्नदान, वृक्षारोपण और भजन-कीर्तन मन को शुद्ध करते हैं और घर-परिवार में शुभता का संचार करते हैं। श्रद्धा, भक्ति और सेवा की भावना के साथ मनाया गया यह पर्व जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि का संदेश देता है।