KNEWS DESK – पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को एक विस्तृत और तीखा पत्र लिखकर वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर की प्रक्रिया अव्यवस्थित, जल्दबाज़ी में और जोखिम भरी तरीके से चल रही है, जिससे न सिर्फ बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) पर अत्यधिक दबाव बढ़ा है, बल्कि सही वोटरों के अधिकार भी खतरे में पड़ रहे हैं।
बीएलओ को मिल रही अथाह जिम्मेदारियां
ममता बनर्जी ने कहा कि बीएलओ को बिना पर्याप्त ट्रेनिंग, सपोर्ट और समय के भारी-भरकम जिम्मेदारियां दी गई हैं। कई बीएलओ—जिनमें शिक्षक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और फ्रंटलाइन स्टाफ शामिल हैं—अपने नियमित काम के साथ-साथ घर-घर जाकर सर्वे भी करने को मजबूर हैं। सर्वर फेल होने, डेटा मिसमैच और सीमित ऑनलाइन सहायता जैसी समस्याओं ने काम को और कठिन बना दिया है।
वहीं, देरी होने पर डिसिप्लिनरी एक्शन की धमकी और ‘कारण बताओ नोटिस’ जैसी कार्रवाइयों के चलते कई बीएलओ डर के माहौल में काम कर रहे हैं, जिसकी वजह से गलत डेटा जमा होने का खतरा बढ़ गया है।
बीएलओ पर दबाव के बीच आत्महत्या की घटनाएं
सीएम ने पत्र में बताया कि जलपाईगुड़ी के माल इलाके में एसआईआर से जुड़े भारी दबाव की वजह से एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, जो बीएलओ के तौर पर तैनात थी, ने आत्महत्या कर ली। ममता ने दावा किया कि प्रक्रिया शुरू होने के बाद से कई और लोगों की मौत की खबरें भी सामने आई हैं। उन्होंने चेताया कि तीन साल के रिवीजन काम को तीन महीनों में निपटाने का दबाव बेहद खतरनाक है और इससे वोटर रोल की विश्वसनीयता प्रभावित होगी।
किसान और मजदूर भी परेशान, कृषि सीजन पर असर
ममता ने यह भी कहा कि इस समय बंगाल में धान की कटाई और रबी फसलों—खासकर आलू की बुवाई—जोरों पर है। लाखों किसान और मजदूर खेतों में व्यस्त हैं, ऐसे में सर्वे के लिए घर पर किसी का मिल पाना लगभग असंभव है। यह भी एसआईआर प्रक्रिया की दक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
एसआईआर रोकने और नियमों की समीक्षा की मांग
पत्र में उन्होंने मांग की है कि एसआईआर को तुरंत रोका जाए। चुनाव आयोग डराने-धमकाने की प्रथाओं को बंद करे और प्रक्रिया को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए बीएलओ को उचित ट्रेनिंग, सहयोग और पर्याप्त समय मुहैया कराए। साथ ही, पूरे सिस्टम और मेथडोलॉजी की दोबारा समीक्षा की जाए।