KNEWS DESK – आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में बुधवार का दिन ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रंगों से सराबोर हो गया। यहां दिवंगत आध्यात्मिक गुरु श्री सत्य साईं बाबा की जन्म शताब्दी के अवसर पर भव्य समारोह आयोजित किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिरकत कर कार्यक्रम को विशेष बना दिया। प्रधानमंत्री ने सत्य साईं बाबा की महासमाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए और पवित्र श्राइन में जाकर नमन किया। इस दौरान उनके साथ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण भी मौजूद रहे। पीएम मोदी के आगमन के बाद पुट्टपर्थी में माहौल पूरी तरह आध्यात्मिक और उत्साहपूर्ण हो गया।
ऐश्वर्या राय भी हुईं शामिल
इस विशेष अवसर पर बॉलीवुड की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन भी समारोह में शामिल हुईं। उन्होंने मंच से पीएम मोदी का सम्मानपूर्वक स्वागत किया और कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का दिल से धन्यवाद करती हूं कि वे इस पावन समारोह में हमारे साथ हैं। उनके प्रेरणादायक विचारों को सुनना हमेशा उत्साह से भर देता है। उनकी मौजूदगी इस शताब्दी उत्सव को खास बनाती है और हमें स्वामी के संदेश की याद दिलाती है कि सच्चा नेतृत्व सेवा है।” ऐश्वर्या के संबोधन को उपस्थित लोगों ने खूब सराहा।
ऐश्वर्या ने बताए सत्य साईं बाबा के ‘पांच D’
अपने भाषण में ऐश्वर्या ने सत्य साईं बाबा द्वारा बताए गए पांच D का उल्लेख किया, जो जीवन को अर्थपूर्ण और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाने की सीख देते हैं| Discipline (अनुशासन), Dedication (समर्पण), Devotion (भक्ति), Determination (दृढ़ संकल्प), Discrimination (विवेक) उन्होंने कहा कि इन पांच सिद्धांतों का पालन हर व्यक्ति को सही दिशा और संपूर्णता की ओर ले जाता है।
कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुट्टपर्थी में रोड शो भी किया। हजारों लोग सड़कों पर उतरकर उनका स्वागत करते दिखे। जयघोष, फूल-वर्षा और देशभक्ति के नारों ने पूरे क्षेत्र को त्योहार जैसा माहौल दे दिया।
कौन थे श्री सत्य साईं बाबा?
श्री सत्य साईं बाबा का जन्म 23 नवंबर 1926 को आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में सत्यनारायण राजू के रूप में हुआ था। सिर्फ 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने खुद को शिरडी साईं बाबा का अवतार घोषित किया और उसके बाद पूरी उम्र मानव सेवा, आध्यात्मिकता और करुणा को समर्पित की।
उनका संदेश सरल था, “हर जीव में ईश्वर का वास है, इसलिए मनुष्य की सेवा करना ही ईश्वर की सेवा है।” उनकी शिक्षाओं, अस्पतालों, शिक्षा संस्थानों और मानवता के प्रति योगदान ने उन्हें दुनियाभर में लाखों श्रद्धालुओं के दिलों में जगह दिलाई।