बच्चों के लापता होने पर चिंतित सुप्रीम कोर्ट, केन्द्र सरकार को दिया 9 दिसंबर तक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का आदेश

डिजिटल डेस्क- देश में लापता बच्चों की बढ़ती संख्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने कहा है कि यह विषय “बहुत गंभीर” है और देशभर में बच्चों की गुमशुदगियों की घटनाओं को प्राथमिकता के साथ देखे जाने की जरूरत है। कोर्ट ने एक समाचार रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि उन्हें यह आंकड़ा सही है या नहीं, इस बात का भरोसा नहीं, लेकिन फिर भी यह बहुत गंभीर मुद्दा है। ऐसे हालात में कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश देते हुए 9 दिसंबर तक एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का समय दिया है।

गोद लेने की प्रक्रिया जटिल- जस्टिस नागरत्ना

कोर्ट ने यह मांग इसलिए उठाई है क्योंकि वर्तमान में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच लापता बच्चों के मामलों में समन्वय कमजोर है। जस्टिस नागरत्ना ने यह भी कहा कि गोद लेने की प्रक्रिया जटिल बनी हुई है, जिससे कई मामलों में समय और संसाधनों की हानि हो रही है। कोर्ट ने केंद्र से यह प्रक्रिया सरल बनाने की बात कही है, ताकि लापता बच्चों को जल्द सुरक्षित घर मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को Mission Vatsalya पोर्टल पर अपने समर्पित नोडल अधिकारियों का नाम, पद और संपर्क नंबर अपलोड करना चाहिए। यह कदम शिकायतों को ज़्यादा प्रभावी और पारदर्शी बनाएगा क्योंकि जैसे ही कोई लापता बच्चे की रिपोर्ट पोर्टल पर दर्ज होगी, उसे तुरंत उसी राज्य के नोडल अधिकारी तक पहुँचाया जाना चाहिए, और वह अधिकारी ट्रेसिंग, जांच और आगे की कार्रवाई की जिम्मेदारी ले सकेगा

नोडल अधिकारी की तय की भूमिका

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नोडल अधिकारी सिर्फ नाममात्र की भूमिका नहीं निभाएंगे; उनका एक नेटवर्क तैयार किया जाना चाहिए जो जिला और ज़ोन स्तर तक फैला हो ताकि जानकारी तेजी से नीचे तक पहुंच सके। यह आदेश पहले से मौजूद ट्रैकचाइल्ड और खोया-पाया पोर्टल की क्षमताओं को मजबूत करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पोर्टल को सिर्फ सूचना जमा करने की जगह न बनाकर वास्तविक, सक्रिय ट्रेसिंग तंत्र में बदलना होगा, जिससे गुमशुदा बच्चे जल्दी मिल सकें और तस्करी जैसे मामलों में त्वरित कार्रवाई की जाए।