आरजेडी में आंतरिक कलह तेज, बीच मीटिंग से ही बाहर निकले लालू और राबड़ी

डिजिटल डेस्क- बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में उथल-पुथल बढ़ती जा रही है। पार्टी जहां अभी तक हार के सदमे से उबर नहीं पाई है, वहीं आंतरिक मतभेदों ने हालात को और पेचीदा बना दिया है। सोमवार को तेजस्वी यादव के आवास पर हुई समीक्षात्मक बैठक ने पार्टी के अंदर छिपे असंतोष को एक बार फिर सतह पर ला दिया। बैठक में सभी विधायकों और बड़े नेताओं को बुलाया गया था। लंबे समय बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और संगठन के कद्दावर चेहरे जगदानंद सिंह की मौजूदगी ने सबका ध्यान खींचा। वे लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं और हाल ही में संगठनात्मक गतिविधियों से दूरी बनाए हुए थे। उनकी वापसी को पार्टी में नए समीकरण का संकेत माना जा रहा है। इसके उलट, तेजस्वी यादव के सबसे भरोसेमंद नेता और राज्यसभा सांसद संजय यादव बैठक से गायब रहे। चुनाव नतीजों के बाद लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने संजय यादव पर बड़े आरोप लगाए थे, जिसके बाद से वह विवादों में हैं। ऐसे समय में उनका बैठक में शामिल न होना RJD की अंदरूनी राजनीति को और तीखा बना रहा है।

मीटिंग के बीच लालू-राबड़ी बाहर निकले

बैठक के दौरान सबसे चौंकाने वाला दृश्य तब देखने को मिला, जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी बीच में ही मीटिंग छोड़कर बाहर निकल गए। उनके अचानक उठकर जाने को पार्टी नेताओं ने भले सामान्य बताया हो, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे गंभीर संकेत के रूप में देखा जा रहा है। हार के बाद तेजस्वी यादव ने पहली बार अपनी पार्टी के नेताओं से आमने-सामने चर्चा की। विधानसभा चुनाव में महागठबंधन सिर्फ 35 सीटें ही जीत पाया, जिसमें से 25 सीटें RJD के खाते में आईं। लगातार गिरते जनाधार और संगठन में अनदेखी के आरोपों को लेकर नेताओं ने मीटिंग में कई सवाल उठाए। तेजस्वी यादव पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया और मीडिया इंटरैक्शन से दूर थे। ऐसे में उनकी यह बैठक पार्टी को नए सिरे से संभालने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।

RJD में अंदरूनी कलह हुआ तेज

मीटिंग में मौजूद नेताओं ने माना कि पार्टी को जनादेश नहीं मिला, लेकिन इसकी बड़ी वजह संगठनात्मक कमजोरियां, टिकट वितरण में नाराजगी और स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की सक्रियता में कमी रही। रोहिणी आचार्य के हालिया आरोपों ने भी पार्टी के भीतर तनाव को हवा दी है।