KNEWS DESK – बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए ने दमदार जीत हासिल की है। जीत के बाद जहां भाजपा–जेडीयू गठबंधन में जश्न का माहौल है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष लगातार सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहा है। महागठबंधन के नेताओं ने दावा किया है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद भी सरकार ने राज्य की महिलाओं को पैसे बांटे। इसी बीच जनसुराज के वरिष्ठ नेता और पूर्व राजनयिक पवन वर्मा ने दावा किया है कि महिलाओं को दिए गए ₹10,000 विश्व बैंक की किसी अन्य परियोजना के लिए आए पैसों से बांटे गए।

विपक्ष के इन आरोपों पर केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कड़ा जवाब दिया है और कहा है कि सभी दावे “बिना तथ्यों के और पूरी तरह झूठे” हैं।
चिराग पासवान का पलटवार
चिराग पासवान ने आरोपों को “बेखौफ कल्पना” बताते हुए पवन वर्मा से सख्त लहजे में पूछा, “आपको ये आंकड़े कहां से मिलते हैं? अगर कोई सबूत है तो देश के सामने रखें। सरकार हर सवाल का जवाब देगी, लेकिन झूठ फैलाने से चुनावी हार नहीं छिप सकती।”
चिराग ने यह भी कहा कि महिलाओं को आर्थिक सहायता देने वाली योजनाएँ पूरी तरह पारदर्शी हैं और उनका चुनाव से जोड़ना राजनीति के सिवा कुछ नहीं।
पवन वर्मा का दावा
एक इंटरव्यू में पवन वर्मा ने कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा बिहार का कर्ज 4.06 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है| राज्य रोज़ाना 63 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान कर रहा है| “हमारी जानकारी के अनुसार” महिलाओं को दिए गए ₹10,000 एक 21,000 करोड़ रुपये की फंडिंग से दिए गए, जो विश्व बैंक ने अन्य परियोजनाओं के लिए भेजे थे| चुनाव आचार संहिता लागू होने से ठीक एक घंटे पहले 14,000 करोड़ रुपये निकालकर 1.25 करोड़ महिलाओं को बांट दिए गए| हालाँकि वर्मा ने यह भी जोड़ा “अगर हमारी जानकारी गलत है, तो हम क्षमा चाहते हैं। लेकिन अगर यह सही है, तो यह बड़ा नैतिक सवाल खड़ा करता है।”
क्या पैसों ने महिलाओं के वोट को प्रभावित किया?
वर्मा ने यह भी दावा किया कि कई महिलाओं को डर था कि यदि एनडीए सत्ता में नहीं लौटा तो आगे की राशि उनके खातों में नहीं आएगी। उनका कहना है कि राज्य में 4 करोड़ महिला मतदाता हैं| इनमें से 2.5 करोड़ महिलाओं को राशि नहीं मिली| शेष महिलाओं में यह धारणा बनाई गई कि सत्ता बदलने पर लाभ बंद हो सकता है| उनके अनुसार यह चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकता है।
एनडीए की प्रतिक्रिया
एनडीए नेताओं का कहना है कि विपक्ष अपनी हार से निराश है और बिना सबूत आरोप लगाकर चुनावी फ्रेम बदलने की कोशिश कर रहा है। वर्तमान में समाज कल्याण विभाग और वित्त विभाग आधिकारिक रूप से इन आरोपों पर प्रतिक्रिया नहीं दे रहे, लेकिन सरकार का रुख साफ है, “पैसा योजनाओं के तहत दिया गया, चुनाव से कोई संबद्धता नहीं।”