KNEWS DESK- बिहार की सियासत में इन दिनों लालू प्रसाद यादव के परिवार के भीतर मचे घमासान ने नया मोड़ ले लिया है। सोमवार को राबड़ी आवास, 10 सर्कुलर रोड, पटना से रोहिणी आचार्य अचानक दिल्ली के लिए रवाना हो गईं। रवाना होने से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए कई बड़े संकेत दे दिए थे। मीडिया से बातचीत में उनका दर्द साफ झलक रहा था।
दिल्ली जाने से पहले रोहिणी ने मीडिया से कहा कि अब उनका कोई परिवार नहीं है। उन्होंने सीधा आरोप लगाया कि संजय यादव, रमीज और तेजस्वी यादव ने ही उन्हें परिवार से अलग कर दिया है।
उन्होंने तीखे आरोप लगाते हुए कहा “इन्होंने ही मुझे परिवार से निकाला है। जिम्मेदारी किसी को लेनी नहीं है। जब पार्टी हार रही है तो दुनिया सवाल तो करेगी ही। जो खुद को चाणक्य बताते हैं, वही जवाब देंगे। लेकिन जब उनके खिलाफ बोलो तो गाली दिलाई जाती है, बदनाम किया जाता है, यहां तक कि चप्पल उठाकर मारने की धमकी तक दी जाती है।”
रोहिणी के इस तीखे बयान ने राजद (RJD) की आंतरिक राजनीति को फिर से सुर्खियों में ला दिया है हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली करारी हार ने लालू परिवार के भीतर तनाव और बढ़ा दिया है। रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने और परिवार से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया है। वह इस फैसले के लिए संजय यादव और रमीज को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। रोहिणी की नाराज़गी नई नहीं है। छपरा लोकसभा सीट से हार के बाद से ही उनका संजय यादव से मनमुटाव बढ़ता गया।
इसके पीछे दो बड़े कारण बताए जा रहे हैं- छपरा में चुनाव प्रबंधन को लेकर असहमति, तेज प्रताप यादव का ‘बेदखली प्रकरण’।
तेज प्रताप भी संजय यादव को ही अपना राजनीतिक नुकसान करने वाला व्यक्ति बताते रहे हैं और उन्हें “जयचंद” तक कह चुके हैं। रोहिणी को लगता है कि संजय यादव, पार्टी नेताओं विशेषकर कार्यकर्ताओं और तेजस्वी यादव के बीच एक दीवार बनकर खड़े हैं। यही वजह है कि कई बड़े निर्णयों में संगठन और परिवार दोनों की आवाज दब जाती है।