उत्तराखंड: पात्र परिवारों को लाभ, अपात्र होंगे बाहर !

उत्तराखंड- हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में नियोजन विभाग के तहत उत्तराखंड में निवासरत परिवारों के लिए देवभूमि परिवार योजना का गठन किया गया है, इस योजना के जरिये प्रदेश में रह रहे परिवारों को एक अलग पहचान दिलाई जाएगी। जो भी पात्र परिवार है उन सभी तक योजनाओं के फायदे को पारदर्शिता के साथ पहुंचाया जाएगा। साथ ही कौन कौन सी सरकारी योजना परिवारों को प्राप्त हो रही है व कौन इस योजना का लाभ ले रहे है उन सबका पता भी सरकार तक वेबसाइट के जरिये मौजूद रहेगा हालांकि काफी योजनाएं तो प्रदेश सरकार के जरिये समय समय पर लाई जाती रही है लेकिन देवभूमि परिवार योजना के निर्णय के बाद राजनितिक सदगर्मिया भी तेज़ होती दिख रही है विपक्ष लगातार सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है कि सरकार द्वारा योजनाओं के निर्माण के बाद धरातल पर कोई कार्य होता नहीं दिख रहा है। योजनाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंच पा रहा हैं। लम्बे समय से सत्ता में रहकर सरकार अभी तक अपात्र लोगों का चिन्हीकरण नहीं कर पायी है। वहीं जिन अपात्र लोगों ने योजनाओं का लाभ लिया है व अपात्र लोगों तक योजना पहुंचाने वाले अधिकारियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी इसकी जांच पर भी जोर डाला है।

प्रदेश में पहली बार देवभूमि परिवार योजना के लागू होने से पात्र परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। अब तक योजनाओं का लाभ लेने वाले अपात्र बाहर हो जाएंगे। परिवार पहचान पत्र बनने के बाद सरकार के पास प्रत्येक परिवार के बारे में यह जानकारी भी होगी कि वह किस-किस सरकारी योजना का लाभ ले रहा है। इससे योजनाओं में फर्जीवाड़े की आशंका कम होगी और डुप्लीकेसी नहीं हो पाएगी। देवभूमि परिवार योजना से प्रदेश सरकार को सभी विभागों से जुड़ी वर्तमान और भावी योजनाओं की एक पोर्टल पर जानकारी मिलेगी। योजना के तहत परिवार रजिस्टर में दर्ज सदस्यों को पहचान पत्र उपलब्ध कराया जाएगा। इस आईडी में एक विशेष पहचान संख्या होगी। खास बात यह है कि परिवार पहचान पत्र से सरकार को आसानी से यह जानकारी मिल सकेगी कि परिवार को किन-किन योजनाओं का लाभ मिल रहा है। कितनी योजनाओं का लाभ परिवार ले चुका है। यदि किसी पात्र परिवार तक योजना का लाभ नहीं पहुंचा है तो उसके क्या कारण हैं। योजना के माध्यम से एकत्रित होने वाले आंकड़ों से सरकार की अन्य योजनाओं, रोजगार, उद्यम, जनगणना, निर्वाचन और शहरी व ग्रामीण घरों के बारे में ताजा जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।

योजना से होंगे कई फायदे-

सरकार के पास यह जानकारी होगी कि राज्य में कितने लोग बेरोजगार हैं।
लोगों को वेबसाइट पर यह जानकारी मिल सकेगी कि वे किन-किन योजनाओं के पात्र हैं और कितना लाभ ले रहे हैं।
परिवारों के उपलब्ध प्रमाणित आंकड़े जनगणना, निर्वाचन, सहकारिता, कृषि, उद्योग आदि के कार्यों में उपयोगी होंगे।
आंकड़े उपलब्ध होने से सर्वे कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

योजना की घोसणा के बाद से विपक्ष सरकार पर निशाना साधता नज़र आ रहा है, विपक्ष का कहना है कि सरकार की योजनाओं में केवल नाम ही लुभाने वाला होता है हकीकत में धरातल में कोई कार्य होता नहीं दिख रहा है, सरकार द्वारा भ्रष्टाचार से लिप्त लोगों को ही इन योजनाओं को सुचारु व चलाने के लिए निर्देश दिये गये जिससे यह साबित होता है कि लोगों तक इसका लाभ मिलना मुश्किल नज़र आएगा, पात्र लोगों को ही इन योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए लेकिन प्रदेश में भ्रष्टाचार का ऊंचाईयों तक पहुंचना इन योजनाओं को पात्र लोगों तक पहुंचाने में अड़चने उत्त्पन्न कर रहा है। वहीं लम्बे समय से सत्ता में बैठी सरकार अभी तक पात्र व अपात्र लोगों का पता ही नहीं लगा पायी है, बड़ी संख्या में अपात्र लोग योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं वहीं सरकार भी कोई प्रचार प्रसार योजनाओं को पात्र लोगों तक पहुंचाने के लिए नहीं कर पा रही है, लम्बे समय से अपात्र लोगों द्वारा योजनाओं का लाभ उठाने पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी उसकी जवाबदेही भी सरकार की ही बनती है, सरकार की योजनाओं में मिलीभगत देखने को मिलना सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल भी खड़े करते हैं।

सरकार की मंशा साफ है कि मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि पात्र नागरिकों को सरकारी सुविधाएँ बिना किसी देरी, बिना किसी बिचौलिये और बिना फर्जीवाड़े के पारदर्शी रूप से मिले। देवभूमि परिवार योजना से सरकार के सभी विभागों में योजनाओं के संचालन में एकरूपता आएगी और उत्तराखंड के विकास की दिशा में यह एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा लेकिन सवाल इस बात को लेकर उठता है कि योजनाओं का लाभ जनता तक नहीं पहुंच पा रहा है। लम्बे समय से सत्ता में रहकर सरकार अभी तक अपात्र लोगों का चिन्हीकरण नहीं कर पायी हैं। वहीं जिन अपात्र लोगों ने योजनाओं का लाभ लिया है व अपात्र लोगों तक योजना पहुंचाने वाले अधिकारियों पर अब तक कोई कार्रवाई होगी। इस पर अभी भी सांचे बरकरार हैं।