वोटर अधिकार यात्रा का असर शून्य, राहुल–तेजस्वी जिन सीटों से गुज़रे, वहां कैसा रहा जनादेश?

KNEWS DESK- बिहार विधानसभा चुनाव में आए परिणाम ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस और राजद की संयुक्त वोटर अधिकार यात्रा जनता को प्रभावित करने में नाकाम रही। महागठबंधन का लगभग पूरा सफाया हो गया, जबकि एनडीए ने ऐतिहासिक बहुमत के साथ सत्ता में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। इससे सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि जिस हाई-प्रोफाइल यात्रा को राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने पूरे जोश के साथ निकाला—क्या वह जनता को रास नहीं आई, या फिर एनडीए की चुनावी मशीनरी इसके प्रभाव पर पूरी तरह हावी रही?

17 अगस्त को सासाराम के देहरी से शुरू होकर यह यात्रा बिहार के 38 में से 25 जिलों से गुजरी। कांग्रेस ने इसे “वोट चोरी के खिलाफ जागरूकता अभियान” बताया था, जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि यह महागठबंधन की चुनावी जमीन तैयार करने का प्रयास था लेकिन मतदान परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया कि जिन इलाकों से यह यात्रा गुजरी, वहां गठबंधन को उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिला।

यात्रा के मार्ग पर किसका चला जादू?

भोजपुर और मगध क्षेत्र

देहरी (सासाराम) – एलजेपी (रामविलास) के राजीव रंजन सिंह विजयी

कटुंबा – हम (से.) के ललन राम

औरंगाबाद – भाजपा के त्रिविक्रम नारायण सिंह

वजीरगंज – भाजपा के बिरेंद्र सिंह

गया टाउन – भाजपा के प्रेम कुमार

नवादा – जेडीयू की विभा देवी

बरबीघा – जेडीयू के कुमार पुष्पंजय

कोशी–सीमांचल

जमुई – भाजपा की श्रेयसी सिंह

मुंगेर – भाजपा के कुमार प्रणय

कटिहार – भाजपा के तारकिशोर प्रसाद

पूर्णिया – भाजपा के विजय कुमार खे्मका

इन सभी जगहों पर यात्रा का असर न के बराबर रहा।