KNEWS DESK- दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। ‘फांसी घर विवाद’ के मामले ने अब निर्णायक मोड़ ले लिया है। दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने इस प्रकरण में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल और पूर्व उपाध्यक्ष राखी बिड़ला को गुरुवार को पुराने सचिवालय में पेश होने के लिए तलब किया है।
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पेशी के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की है। मामला फिलहाल न्यायालय में लंबित है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगर केजरीवाल पेश नहीं होते, तो विधानसभा की अगली कार्रवाई क्या होगी।
इस मामले की जांच कर रही समिति की अध्यक्षता भाजपा विधायक प्रद्युम्न सिंह राजपूत कर रहे हैं। समिति में अभय कुमार वर्मा, अजय महावर, नीरज बसोया, राम सिंह नेताजी, रवि कांत, सतीश उपाध्याय, सुरेंद्र कुमार और सूर्य प्रकाश खत्री सदस्य के रूप में शामिल हैं। समिति का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि पिछली आप सरकार द्वारा जिस कमरे को फांसी घर घोषित कर संरक्षित किया गया था, वह दावा कितना सटीक है और क्या इस निर्णय में विधानसभा की प्रक्रियाओं का पालन हुआ था या नहीं।
यह विवाद पिछले मानसून सत्र में तब उठा जब मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायक अभय वर्मा ने उस कमरे की प्रामाणिकता पर सवाल खड़े किए जिसे आम आदमी पार्टी की सरकार ने “फांसी घर” बताकर 2022 में संरक्षित घोषित किया था।
दरअसल, 9 अगस्त 2022 को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने इस कमरे का उद्घाटन किया था और इसे ऐतिहासिक “फांसी घर” बताया था, जहां स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कुछ क्रांतिकारियों को फांसी दी गई थी लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद मौजूदा भाजपा सरकार ने इस फैसले को रद्द कर दिया और जांच का जिम्मा विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया।
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, दिल्ली की राजनीति में फिर से गरमाहट लौट आई है। ‘फांसी घर’ विवाद अब आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच नए राजनीतिक टकराव का केंद्र बन गया है। सूत्रों के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल इन दिनों पंजाब में हैं, लेकिन समिति ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।