डिजिटल डेस्क- राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के छह साल बाद अब देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले की सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी सुनवाई न हो सके, इसके लिए कई बार जानबूझकर रुकावटें डाली गईं। दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक समारोह में तुषार मेहता ने कहा, “यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए गए। कभी परोक्ष रूप से, तो कभी बहुत स्पष्ट तरीके से मामले की सुनवाई न हो। उन्होंने आगे बताया कि जब सभी कोशिशें नाकाम हो गईं, तो दो प्रतिष्ठित वकीलों ने अदालत की कार्यवाही का बॉयकॉट कर दिया, जो कि अदालत के इतिहास में बेहद असामान्य कदम था।
केस फॉर राम- द अनटोल्ड इससाइडर्स स्टोरी पुस्तक के विमोचन के दौरान हुआ खुलासा
कार्यक्रम ‘केस फॉर राम – द अनटोल्ड इनसाइडर्स स्टोरी’ नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर आयोजित किया गया था। इस मौके पर मेहता के बयान ने एक बार फिर अयोध्या विवाद को सुर्खियों में ला दिया है। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। अदालत ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण की अनुमति दी थी और मस्जिद निर्माण के लिए अलग 5 एकड़ भूमि देने का आदेश दिया था।
22 जनवरी 2024 को पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन
इस फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य समारोह में मंदिर का उद्घाटन किया। तुषार मेहता के इस खुलासे के बाद राजनीतिक और कानूनी गलियारों में नई बहस शुरू हो गई है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि यह बयान बताता है कि उस दौर में न सिर्फ राजनीतिक दबाव था, बल्कि कानूनी प्रक्रिया पर भी अप्रत्यक्ष असर डालने की कोशिशें हुईं।