डिजिटल डेस्क- बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में इस बार मतदान का रिकॉर्ड टूट गया है। चुनाव आयोग के अनुसार, पहले चरण में 65.08 प्रतिशत मतदान हुआ, जो राज्य के इतिहास में अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इस ‘रिकॉर्ड वोटिंग’ ने सियासी हलकों में नई बहस छेड़ दी है। विपक्षी दलों ने इसे स्पष्ट रूप से बदलाव का संकेत बताया है। राजद और कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि जनता अब बदलाव चाहती है और भारी मतदान उसी दिशा की ओर इशारा कर रहा है। वहीं, जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने दावा किया कि अधिक मतदान से उनके संगठन को फायदा होगा, क्योंकि जनता विकल्प तलाश रही है।
एनडीए को मिलेगा भारी जनादेश- धर्मेंद्र प्रधान
दूसरी ओर, एनडीए इसे जनता के विश्वास की जीत बता रहा है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “NDA को भारी जनादेश मिलेगा। भारी मतदान ने जनता के भरोसे की पुष्टि कर दी है।” उन्होंने कहा कि बिहार के पिछले चुनावों में भी जब ज्यादा वोटिंग हुई, तब जनता ने विकास के नाम पर एनडीए को समर्थन दिया।
छठ पूजा के दौरान हुई वोटिंग के कारण बढ़ा वोटिंग प्रतिशत
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार छठ पर्व के दौरान चुनाव होने का असर भी मतदान प्रतिशत पर पड़ा। प्रवासी मजदूर जो आमतौर पर त्योहार के समय अपने गांव लौटते हैं, उन्होंने इस बार वोट डालने में सक्रियता दिखाई। इसके अलावा, रोजगार और पलायन जैसे स्थानीय मुद्दों ने भी मतदाताओं को मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया। युवाओं की बड़ी भागीदारी इस बार की सबसे अहम बात रही। पहली बार वोट डालने वाले युवा मतदाता विकास, शिक्षा और नौकरी को लेकर जागरूक दिखे।