KNEWS DESK- अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले को 6 साल बाद एक बड़ा खुलासा सामने आया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार को एक समारोह में कहा कि विवादित मामले की सुप्रीम कोर्ट में प्रभावी सुनवाई रोकने के प्रयास किए गए थे।
यह जानकारी मेहता ने इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित ‘केस फॉर राम – द अनटोल्ड इनसाइडर्स स्टोरी’ नामक पुस्तक के विमोचन समारोह में दी। उनके इस खुलासे के बाद एक बार फिर से राम मंदिर विवाद चर्चा में आ गया है।
साल 2019 में, तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण की अनुमति दी थी। फैसले के अनुसार- मंदिर के लिए 2.77 एकड़ भूमि आवंटित की गई, मस्जिद के लिए 5 एकड़ अलग भूमि प्रदान की गई।
राम मंदिर का भव्य उद्घाटन 22 जनवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हुआ था। यह स्थल हिंदू धर्म में भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है। तुषार मेहता ने कहा, “यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए गए, कभी परोक्ष रूप से, तो कभी बहुत स्पष्ट रूप से, कि मामले की सुनवाई न हो।”
उन्होंने बताया कि जब रुकावट डालने के सभी प्रयास विफल हो गए, तो दो प्रतिष्ठित वकीलों ने अदालत का बॉयकॉट कर दिया। मेहता ने कहा कि उन्होंने ऐसा केवल संसद में सुना था, लेकिन राम मंदिर केस में भी यह घटना हुई।