Vrishchika Sankranti 2025: कब है वृश्चिक संक्रांति? जानें तिथि, स्नान-दान और शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व

KNEWS DESK- हिंदू पंचांग में सूर्य के प्रत्येक राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। जब सूर्य तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करता है, तो इसे वृश्चिक संक्रांति कहा जाता है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इस समय सूर्य अग्नि तत्व के प्रभाव में आकर जीवन में नई ऊर्जा, आत्मविश्वास और सफलता का संचार करते हैं।

वृश्चिक संक्रांति 2025 की तिथि और समय

पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में सूर्यदेव 16 नवंबर, रविवार को दोपहर 01 बजकर 45 मिनट पर तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इसी क्षण से वृश्चिक संक्रांति का शुभ पर्व आरंभ होगा।

पुण्यकाल: सुबह 08:02 बजे से दोपहर 01:45 बजे तक (अवधि – 5 घंटे 43 मिनट)
महा पुण्यकाल: 11:58 बजे से 01:45 बजे तक (अवधि – 1 घंटा 47 मिनट)

वृश्चिक संक्रांति का महत्व

वृश्चिक संक्रांति सूर्य उपासना का प्रमुख पर्व है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य एवं समृद्धि का वास होता है।
इस दिन सूर्यदेव की आराधना करने से व्यक्ति को आत्मबल, पद-प्रतिष्ठा और करियर में प्रगति प्राप्त होती है। साथ ही यह दिन पितरों को तर्पण और श्राद्ध कर्म करने के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है।

वृश्चिक संक्रांति की पूजा विधि

  • प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। यदि संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें, अन्यथा घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • साफ और हल्के रंग के वस्त्र धारण करें।
  • तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, लाल फूल और गुड़ मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।
  • अर्घ्य देते समय “ॐ घृणि सूर्याय नमः” या “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • सूर्यदेव की धूप, दीप और लाल पुष्पों से पूजा करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • इस दिन अपनी क्षमता अनुसार अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़ और गौदान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

वृश्चिक संक्रांति आत्मिक शुद्धि, ऊर्जा और परोपकार का प्रतीक पर्व है। इस दिन सूर्यदेव की उपासना, स्नान और दान-पुण्य करने से न केवल जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है बल्कि स्वास्थ्य, सम्मान और समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस संक्रांति पर सूर्यदेव से प्रार्थना करें आपके जीवन में भी उजाला, उत्साह और उन्नति का प्रकाश बना रहे।