KNEWS DESK- हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष धार्मिक महत्व है। यह दिन न केवल भगवान विष्णु और शिवजी के मिलन का प्रतीक माना जाता है, बल्कि यह तुलसी माता की विशेष पूजा का भी पावन अवसर है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान हरि (विष्णु) और हर (शिव) दोनों की पूजा करने का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है।

कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी पूजा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागते हैं और तुलसी माता उनकी सबसे प्रिय मानी जाती हैं. तुलसी विवाह का समापन भी इसी दिन होता है, इसलिए यह दिन समृद्धि, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.
यह भी माना जाता है कि इस दिन तुलसी की पूजा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है, और जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं। तुलसी पूजा से पितृदोष और वास्तुदोष भी शांत हो जाते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा के लाभ
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा: तुलसी पूजा से दोनों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
- सुख-समृद्धि में वृद्धि: घर में धन और सौभाग्य की वृद्धि होती है.
- सकारात्मक ऊर्जा: तुलसी के पौधे से घर का वातावरण पवित्र और ऊर्जावान बनता है.
- स्वास्थ्य लाभ: तुलसी पूजा से रोगों से मुक्ति और मानसिक शांति प्राप्त होती है.
कार्तिक पूर्णिमा तुलसी पूजा मुहूर्त 2025
- सुबह का मुहूर्त: 7:58 बजे से 9:20 बजे तक
- शाम का मुहूर्त: 5:15 बजे से 6:05 बजे तक
कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी पूजा विधि
- तुलसी के पौधे और उसके आसपास की जगह को साफ करें।
- गमले पर हल्दी या गेरू से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।
- तुलसी माता को चुनरी, चूड़ी, बिंदी और मेहंदी अर्पित करें।
- घी का दीपक जलाएं और तुलसी माता की आरती करें।
- तुलसी की कम से कम 11 बार परिक्रमा करें।
- तुलसी जी को हलवा, पूरी या मिठाई का भोग लगाएं।
- पूजा के बाद प्रसाद सभी में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- अंत में अपनी भूलों के लिए तुलसी माता से क्षमा याचना करें।
कार्तिक पूर्णिमा का यह दिन भक्ति, दान और पुण्य का पर्व है. इस दिन तुलसी पूजा के साथ दीपदान और भगवान विष्णु के नाम का जप करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है.