KNEWS DESK – बॉलीवुड और पंजाबी सिनेमा के सुपरस्टार दिलजीत दोसांझ आज जिस ऊंचाई पर हैं, वहां तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं था। वह आज भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हों, लेकिन उनका सफर बेहद साधारण जिंदगी से शुरू हुआ था। हाल ही में वह अपने AURA वर्ल्ड टूर के बीच ‘कौन बनेगा करोड़पति 17’ के सेट पर पहुंचे, जहां उन्होंने अमिताभ बच्चन से अपने संघर्ष के दिनों की कहानी साझा की।
शो की शुरुआत में झुके दिलजीत
शो की शुरुआत में जैसे ही दिलजीत हॉट सीट पर पहुंचे, उन्होंने सबसे पहले बिग बी के पैर छुए, जिससे उनकी विनम्रता साफ झलक गई। अमिताभ बच्चन ने जब उनसे उनके बचपन के बारे में पूछा, तो दिलजीत ने कहा, “मेरा बचपन ठीक-ठाक रहा। मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं था, लेकिन संगीत से बहुत लगाव था। जब मैं 10-11 साल का था, तो मेरे पैरेंट्स ने मुझे मामा के घर भेज दिया था — वो भी बिना मुझसे पूछे।” उन्होंने बताया कि उस वक्त उन्हें बुरा लगा था क्योंकि उस समय फोन जैसी कोई सुविधा नहीं थी। “मैं 3-4 महीने बाद ही अपने पैरेंट्स से मिल पाता था।”
दिलजीत ने बताया कि उस समय उनके लिए सबसे बड़ा मनोरंजन दूरदर्शन पर आने वाली अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की फिल्में थीं। “जब आपकी फिल्म आती थी, तो बहुत खुशी होती थी, क्योंकि उसमें एक्शन होता था,” उन्होंने हंसते हुए कहा।
पिता करते थे टिकट चेकिंग का काम
दिलजीत ने अपने पिता की सादगी भरी जिंदगी के बारे में बताया, “मेरे पिता रोडवेज बस में टिकट चेकर थे। वो बहुत ही सिंपल इंसान थे। उनके पास सिर्फ एक साइकिल थी और उन्हें आम बहुत पसंद थे। उन्होंने मुझे एक बार कहा था – बेटा, खाने को रोटी और रहने को घर मिलेगा, बाकी जो करना है, खुद मेहनत से करना।” दिलजीत ने कहा कि पिता की सैलरी आते ही पहले या दूसरे दिन खत्म हो जाती थी। इसी वजह से उन्होंने कम उम्र में ही कमाने की ठान ली।
शादी-बर्थडे में करते थे परफॉर्म
दिलजीत ने बताया कि उन्होंने शुरुआत में शादियों और पार्टियों में गाना गाकर पैसे कमाने शुरू किए। “मेरे पहले एलबम के बाद किसी ने मुझे बर्थडे पार्टी में गाने के लिए बुलाया। वहां मुझे 2000 रुपये मिले थे। उस वक्त लगा कि बहुत बड़ी रकम है। फिर हमने शादी, पार्टी, बर्थडे—सब जगह परफॉर्म करना शुरू किया।” उन्होंने कहा कि उस दौर में हर शो उनके लिए एक नया अनुभव था और लोगों को खुश देखकर उन्हें सुकून मिलता था।
शो में दिलजीत ने यह भी कहा कि उन्हें आज भी अपने शुरुआती दिनों की मेहनत नहीं भूलती। “मैं जहां से आया हूं, वहां लोगों के पास बहुत कुछ नहीं था। इसलिए आज जो मिला है, उसके लिए मैं रोज शुक्रिया अदा करता हूं।”