डिजिटल डेस्क- दिल्ली के चांदनी चौक से बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने राजधानी का नाम बदलने की मांग उठाई है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि भारत की राजधानी दिल्ली का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ’ रखा जाए। सांसद ने इसे मात्र नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और ऐतिहासिक परंपरा के पुनर्जागरण का प्रतीक बताया है। शनिवार को गृह मंत्री को भेजे गए इस पत्र में सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि इतिहास गवाह है कि महाभारत काल में पांडवों ने यमुना तट पर ‘इंद्रप्रस्थ’ नामक अपनी राजधानी स्थापित की थी। वह नगर उस समय व्यापार, संस्कृति और शासन का प्रमुख केंद्र बना। लेकिन समय के साथ सुल्तानत और मुगल काल में यह नगर “दिल्ली” नाम से प्रसिद्ध हुआ, और 1911 में ब्रिटिश शासन ने इसी भूमि पर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया।
ये रखी चार मांगे
- भारत की राजधानी दिल्ली का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ’ किया जाए।
- पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ जंक्शन’ किया जाए।
- इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ एयरपोर्ट’ रखा जाए।
- दिल्ली के किसी प्रमुख स्थल पर पांडवों की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की जाएं।
सांसद ने कहा कि यह कदम दिल्ली को उसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गौरव लौटाने का कार्य होगा। उन्होंने लिखा, “अयोध्या, काशी और प्रयागराज जैसे नगर अपनी प्राचीन पहचान पुनः प्राप्त कर चुके हैं। अब समय आ गया है कि दिल्ली को भी उसका वास्तविक नाम ‘इंद्रप्रस्थ’ वापस मिले।
अपने पत्र में ऐतिहासिक घटनाओं का किया जिक्र
खंडेलवाल ने अपने पत्र में इतिहास के कई संदर्भ भी दिए हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि महाभारत काल (लगभग 3000 ईसा पूर्व) में पांडवों ने हस्तिनापुर से राजधानी स्थानांतरित कर यमुना तट पर इंद्रप्रस्थ की स्थापना की थी। मौर्य और गुप्त काल में यह नगर व्यापार और प्रशासन का प्रमुख केंद्र रहा। राजपूत काल में तोमर वंश ने इसे “ढिल्लिका” कहा, जिससे “दिल्ली” शब्द विकसित हुआ। बाद में सुल्तानत और मुगल काल में सिरी, तुगलकाबाद, फिरोजशाह कोटला और शाहजहानाबाद जैसे नगर विकसित हुए, किंतु भौगोलिक केंद्र वही रहा जो प्राचीन इंद्रप्रस्थ था।