KNEWS DESK- हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। साल में कुल 24 एकादशी आती हैं। प्रत्येक मास में दो। लेकिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है, सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार पुनः संभालते हैं। इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है, जिसके दौरान विवाह, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। देवउठनी एकादशी के साथ चातुर्मास का समापन होता है और सभी मांगलिक कार्यों की पुनः शुरुआत होती है।
देवउठनी एकादशी 2025 कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि प्रारंभ: 1 नवंबर 2025 को सुबह 09:11 बजे एकादशी तिथि समाप्त: 2 नवंबर 2025 को सुबह 07:31 बजे इस प्रकार, देवउठनी एकादशी का व्रत 1 नवंबर 2025 (शनिवार) को रखा जाएगा। इसी दिन भक्त भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-अर्चना करेंगे और व्रत का पालन करेंगे।
देवउठनी एकादशी व्रत पारण का समय
धार्मिक परंपराओं के अनुसार, एकादशी व्रत का पारण हमेशा द्वादशी तिथि में किया जाता है। इस वर्ष द्वादशी तिथि 2 नवंबर 2025 को है। व्रत पारण का शुभ मुहूर्त: दोपहर 01:11 बजे से शाम 03:23 बजे तक इसी अवधि में व्रत का पारण करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।
देवउठनी एकादशी व्रत पारण विधि
व्रत का पारण करने से पहले श्रद्धा और भक्ति से भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए। पारण की विधि इस प्रकार है—
- प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- घर और मंदिर की सफाई करें और पूजा स्थल को सुसज्जित करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करें।
- विष्णु चालीसा, गायत्री मंत्र या ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- सात्विक भोजन का भोग लगाएं, जिसमें तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें।
- प्रभु से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें।
- अंत में प्रसाद का वितरण करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
देवउठनी एकादशी का महत्व
देवउठनी एकादशी को केवल व्रत का दिन नहीं, बल्कि धार्मिक नववर्ष का आरंभ भी माना जाता है। भगवान विष्णु के जागरण के साथ ही संपूर्ण सृष्टि में पुनः शुभ ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन व्रत करने और भगवान विष्णु का स्मरण करने से—सभी पापों का नाश होता है, मन की शुद्धि होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।
देवउठनी एकादशी न केवल भगवान विष्णु के जागरण का पर्व है, बल्कि यह आध्यात्मिक पुनर्जागरण का भी प्रतीक है। जो भक्त इस दिन श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में आनंद, शांति और सफलता प्राप्त होती है।