छठ पूजा 2025: संध्या अर्घ्य में जरूर जानें क्या करें और क्या नहीं करें

KNEWS DESK- छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का सबसे पवित्र पर्व माना जाता है। यह चार दिवसीय महापर्व आस्था, तपस्या और अनुशासन का प्रतीक है। आज इसका तीसरा दिन यानी संध्या अर्घ्य का दिन है, जब व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र की कामना करते हैं। इस दिन का खास महत्व होता है, इसलिए अर्घ्य के दौरान व्रतियों को कुछ नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं संध्या अर्घ्य में क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए।

संध्या अर्घ्य में भूलकर भी न करें ये 5 काम

अन्न-जल का सेवन न करें: व्रतियों को आज के दिन सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक निर्जला व्रत रखना चाहिए।

बिना हाथ धोए प्रसाद न छूएं: यदि आप व्रती नहीं हैं, तो भी प्रसाद बनाने या अर्घ्य का सूप सजाने से पहले हाथ धोना अनिवार्य है।

अपवित्र अवस्था में पूजा सामग्री न छुएं: शारीरिक या मानसिक अपवित्रता की स्थिति में प्रसाद या पूजा की चीजों को नहीं छूना चाहिए।

चप्पल पहनकर पूजा का कार्य न करें: छठ से जुड़ा कोई भी काम चप्पल या जूते पहनकर नहीं करना चाहिए, यह अशुभ माना जाता है।

क्रोध और अपशब्दों से बचें: अर्घ्य के दिन व्रती को मन, वचन और कर्म से शांत रहना चाहिए। किसी पर क्रोध या कटु वचन बोलना वर्जित है।

संध्या अर्घ्य में करें ये शुभ कार्य

सूर्यास्त से पहले सभी तैयारी पूरी करें: अर्घ्य का समय सूर्यास्त के ठीक पहले का होता है, इसलिए सभी पूजा सामग्री पहले से तैयार रखें।

शुद्ध वस्त्र धारण करें: व्रती को पारंपरिक और स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए।

पवित्र जल में अर्घ्य दें: नदी, तालाब या घर में बने जलकुंड में दूध और गंगाजल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।

सूर्य की किरणों पर ध्यान रखें: अर्घ्य देते समय जल की धारा इस तरह रखें कि उसके बीच से सूर्य की किरणें दिखाई दें।

मंत्रोच्चारण और आरती करें: अर्घ्य के दौरान वैदिक मंत्रों का जप करें, दीपक जलाएं और आरती के बाद छठी मैया से परिवार की मंगलकामना करें।

संध्या अर्घ्य का यह पवित्र क्षण न सिर्फ सूर्य उपासना का प्रतीक है, बल्कि यह मन की शुद्धि, आत्म-नियंत्रण और आस्था की परीक्षा भी है। जो भी व्रती इन नियमों का पालन करते हैं, उन पर छठी मैया और सूर्य देव की असीम कृपा बनी रहती है।