KNEWS DESK – भारत की विज्ञापन इंडस्ट्री एक महान क्रिएटिव गुरु को खो चुकी है। पीयूष पांडे, जिन्हें देश का एड इंडस्ट्री लीजेंड माना जाता है, का शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2025 को 70 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके जाने से सिर्फ विज्ञापन जगत ही नहीं, बल्कि बॉलीवुड और क्रिएटिव इंडस्ट्री में भी शोक की लहर दौड़ गई है।
अमिताभ बच्चन ने जताया दुख
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने पीयूष पांडे के निधन पर सोशल मीडिया और अपने ब्लॉग के जरिए गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “एक रचनात्मक प्रतिभा…एक अत्यंत मिलनसार मित्र और मार्गदर्शक…हमें छोड़कर चले गए। दुख जाहिर करने के लिए शब्द नहीं हैं। पीयूष पांडे का निधन हो गया। उनके द्वारा छोड़े गए रचनात्मक कार्य उनकी असीम रचनात्मकता के शाश्वत प्रतीक रहेंगे।” अमिताभ बच्चन अंतिम संस्कार में अपने बेटे अभिषेक बच्चन के साथ शामिल हुए। सोशल मीडिया पर उनका वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दोनों पीयूष पांडे को अंतिम विदाई देते नजर आ रहे हैं।
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शाहरुख खान ने भी किया श्रद्धांजलि अर्पित
बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “पीयूष पांडे के साथ काम करना और उनके साथ रहना हमेशा कंफर्टेबल और मजेदार लगता था। उनके द्वारा रचे गए अद्भुत जादू का हिस्सा बनना सम्मान की बात थी। उन्होंने अपनी प्रतिभा को इतनी सहजता से पेश किया और भारत की एड इंडस्ट्री में क्रांति ला दी। मेरे दोस्त, तुम्हारी बहुत याद आएगी।”
पीयूष पांडे का जीवन और करियर
पीयूष पांडे का जन्म 5 सितंबर 1955 को राजस्थान के जयपुर में हुआ था। उन्होंने 2016 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 27 साल की उम्र में एड इंडस्ट्री में कदम रखने वाले पांडे ने 1982 में ओगिल्वी एंड माथर इंडिया (अब ओगिल्वी इंडिया) से अपने करियर की शुरुआत की।
उनके सबसे चर्चित और यादगार विज्ञापनों में शामिल हैं| फेविकॉल का ट्रक वाला विज्ञापन (2007), कैडबरी का क्रिकेट वाला विज्ञापन (2007), एशियन पेंट्स – हर घर कुछ कहता है (2002), हच (वोडाफोन) – पग वाला विज्ञापन (2003), भाजपा का अबकी बार मोदी सरकार अभियान, पल्स पोलियो का दो बूंदें जिंदगी की अभियान|
पीयूष पांडे ने अपने अनोखे क्रिएटिव दृष्टिकोण और ह्यूमर के जरिए भारतीय विज्ञापन जगत में नई दिशा दी और कई ब्रांड्स को पहचान दिलाई।
इंडस्ट्री में छोड़ गए अमिट छाप
पीयूष पांडे न केवल एक एड गुरु थे, बल्कि कई युवा क्रिएटिव्स के लिए प्रेरणा स्रोत भी रहे। उनके द्वारा बनाए गए विज्ञापन और अभियान आज भी भारतीय ब्रांडिंग और मार्केटिंग का हिस्सा हैं। उनकी मृत्यु से इंडस्ट्री एक महान शिक्षक और रचनात्मक पथप्रदर्शक को खो चुकी है।