पंच केदार: पंच केदार दर्शन के बिना, क्यों अधूरी मानी जाती है केदारनाथ की यात्रा? जानिए इसका धार्मिक महत्व

KNEWS DESK- हिंदू धर्म में भगवान शिव को ‘देवों के देव महादेव’ कहा गया है। उनकी आराधना से मोक्ष, शक्ति और आत्मशुद्धि की प्राप्ति होती है। उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में स्थित केदारनाथ धाम बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। लेकिन धार्मिक मान्यता यह है कि जब तक भक्त पंच केदार के दर्शन नहीं करते, तब तक केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती है।

आइए जानते हैं, क्या है पंच केदार का रहस्य, इसकी पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व।

क्या है पंच केदार का रहस्य?

‘पंच केदार’ शब्द भगवान शिव के पांच पवित्र धामों से जुड़ा है, जो उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित हैं। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद भगवान शिव के शरीर के पांच अलग-अलग हिस्से इन्हीं स्थानों पर प्रकट हुए थे। इसी वजह से इन पांचों मंदिरों की यात्रा भगवान शिव के पूर्ण स्वरूप के दर्शन मानी जाती है।

पांच केदार मंदिर कौन-कौन से हैं?

  • केदारनाथ – भगवान शिव की पीठ के रूप में प्रतिष्ठित।
  • तुंगनाथ – भगवान शिव के भुजाओं का प्रतीक।
  • रुद्रनाथ – भगवान के मुख की पूजा यहां होती है।
  • मध्यमहेश्वर – भगवान के नाभि और उदर रूप की आराधना यहां होती है।
  • कल्पेश्वर – भगवान शिव के जटाजूट (केश) की पूजा यहां की जाती है।

    ये पांचों मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी जिलों में फैले हुए हैं और इन्हें मिलाकर पंचकेदार यात्रा कहा जाता है।

    पौराणिक कथा कैसे स्थापित हुए पंचकेदार

    महाभारत के युद्ध के बाद पांडव अपने भाइयों की हत्या के पाप से मुक्त होना चाहते थे। वे भगवान शिव से क्षमा मांगने हिमालय पहुंचे, लेकिन शिव उनसे नाराज थे। वे भैंसे (नंदी) का रूप लेकर हिमालय में छिप गए।

    भीम ने उस विशाल भैंसे को देखा और उसकी पूंछ पकड़ ली। तभी भैंसा धरती में समाने लगा और उसका शरीर पांच भागों में विभाजित हो गया। जो पांच अलग-अलग स्थानों पर प्रकट हुए। बाद में उन्हीं स्थानों पर भगवान शिव के पांच मंदिर स्थापित हुए, जिन्हें आज पंचकेदार कहा जाता है।

    धार्मिक महत्व

    कहा जाता है कि भगवान शिव के इन पांच रूपों के दर्शन किए बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती है। पंचकेदार यात्रा केवल एक धार्मिक मार्ग नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, पापमोचन और मोक्ष की ओर बढ़ने की आध्यात्मिक साधना है। यह यात्रा भगवान शिव के पांच तत्वों शरीर, मन, आत्मा, शक्ति और भक्ति का प्रतीक मानी जाती है। भक्त केदारनाथ से यात्रा शुरू करते हैं और कल्पेश्वर में समाप्त करके भगवान के पूर्ण स्वरूप के दर्शन करते हैं।

    पंचकेदार यात्रा केवल पर्वतीय तीर्थ नहीं, बल्कि यह श्रद्धा, साहस और आस्था की यात्रा है। जो भक्त इन पांचों धामों के दर्शन करता है, कहा जाता है कि उसे शिव कृपा और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं।