डिजिटल डेस्क- लद्दाख को लेकर बुधवार को गृह मंत्रालय में महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के प्रतिनिधि शामिल हुए। लद्दाख के सांसद हाजी हनीफा जान भी बैठक में मौजूद रहे और दोनों संगठनों की तरफ से पैरवी करने वाले जनप्रतिनिधि के रूप में हिस्सा लिया। बैठक में स्टेटहूट, छठी अनुसूची में शामिल किए जाने और अन्य संवैधानिक मुद्दों पर बातचीत हुई। बैठक के बाद हाजी हनीफा ने बताया कि सोनम वांगचुक समेत अन्य गिरफ्तार लोगों की रिहाई को लेकर भी विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि आगामी बैठक जल्द ही आयोजित की जाएगी। KDA की तरफ से असगर अली करबलई, कमर अली अखून और सज्जाद कारगिली बैठक में शामिल हुए। LAB के सह-अध्यक्ष चेरिंग दोरजे ने बताया कि दिल्ली में गृह मंत्रालय के एक प्रतिनिधि के लद्दाख दौरे के बाद वार्ता की तारीख तय हुई।
अगली बैठक नित्यानंद राय की अध्यक्षता में होगी
दोरजे ने कहा, “केंद्र द्वारा 24 सितंबर की हिंसा की न्यायिक जांच की घोषणा के बाद, जो हमारी मुख्य मांग थी, हम वार्ता के लिए सहमत हुए हैं। आगामी बैठक में सकारात्मक प्रगति होने पर अगले दौर की चर्चा उच्चाधिकार प्राप्त समिति नित्यानंद राय की अध्यक्षता में होगी।” इससे पहले 17 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने लेह एपेक्स बॉडी और KDA की प्रमुख मांगों को ध्यान में रखते हुए 24 सितंबर की झड़पों की न्यायिक जांच की घोषणा की थी। अधिसूचना के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान की अध्यक्षता में यह जांच होगी। जांच का उद्देश्य उन परिस्थितियों का विश्लेषण करना है, जिससे गंभीर कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हुई, पुलिस कार्रवाई की गई और इसके परिणामस्वरूप चार लोगों की मृत्यु हुई, जिनमें 1999 के कारगिल युद्ध का अनुभवी सैनिक भी शामिल है।
24 सितंबर को हुई थी हिंसा
24 सितंबर को लेह-लद्दाख में प्रदर्शनकारियों ने इमारतों में तोड़फोड़ की, बीजेपी कार्यालय और एक पुलिस वाहन में आग लगाई, जिसके बाद पुलिस और सीआरपीएफ ने आंसू गैस और गोलीबारी की। इस झड़प में चार लोगों की मौत और लगभग 100 लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल के 15वें दिन राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची लागू करने की मांग रखी थी।