KNEWS DESK – दीपावली, जिसे दीपों का पर्व कहा जाता है, सिर्फ अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह धन, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का भी महापर्व है। इस साल यह पर्व सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन विशेष रूप से तुलसी पूजन करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति का आगमन होता है।
तुलसी पूजन का महत्व
तुलसी पूजन के दौरान श्रद्धालु सुबह उठकर तुलसी के पौधे में जल चढ़ाते हैं, इसके बाद घी का दीपक जलाते हैं। फिर तुलसी चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप किया जाता है। अंत में आरती करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है।
तुलसी चालीसा का पाठ
तुलसी चालीसा में मां तुलसी के गुणों और उनकी महिमा का वर्णन है। इसमें उनके भक्तों के कष्ट हरने, सुख और समृद्धि प्रदान करने तथा जीवन में सफलता दिलाने की क्षमता का उल्लेख किया गया है।
कुछ प्रमुख श्लोकों में कहा गया है:
- “श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय। जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।”
- “नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी। दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।”
- “कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।”
पूजन की विधि
- स्नान और आचमन: पहले गंगाजल से आचमन करें और शुद्ध स्नान करें।
- सज्जा और आराधना: तुलसी के पौधे को सजाएं, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप और दीपक अर्पित करें।
- चालीसा और मंत्र जप: तुलसी चालीसा का पाठ करें और हृदय से माता तुलसी का ध्यान करें।
- आरती और प्रार्थना: अंत में आरती करें और अपने मनोकामना के लिए प्रार्थना करें।
तुलसी पूजन का फल
भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।
जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
परिवार में संपत्ति और सुख-शांति आती है।