डिजिटल डेस्क- राजस्थान में हाल ही में पारित धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर सियासत तेज हो गई है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को इस कानून की कड़ी आलोचना की और बीजेपी सरकार पर संविधान का अनादर करने का आरोप लगाया। ओवैसी ने कहा कि यह कानून न केवल धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है बल्कि समाज में भय और हिंसा का माहौल पैदा करेगा। ओवैसी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “राजस्थान का नया कानून धर्म परिवर्तन पर पूरी तरह से रोक लगाता है। अगर कोई व्यक्ति अपना धर्म बदलना चाहता है, तो उसे पहले कलेक्टर से अनुमति लेनी होगी, और उसके नाम व तस्वीर के साथ सार्वजनिक नोटिस लगाया जाएगा। ऐसा नोटिस लिंचिंग को आमंत्रित करने के समान है।”
बुलडोजर चलाने पर जताई आपत्ति
उन्होंने कानून के उन प्रावधानों पर भी आपत्ति जताई, जिनमें अवैध धर्मांतरण के आरोपी की संपत्ति को ध्वस्त करने या जब्त करने की अनुमति दी गई है। ओवैसी ने कहा, “अब किसी पर भी अवैध धर्मांतरण का आरोप लगाया जा सकता है, और उसके घर या पूजा स्थल को बुलडोजर से गिराया जा सकता है। संविधान के पहले पन्ने में विचार, आस्था और उपासना की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन बीजेपी वालों को संविधान का सम्मान करना कब आता है?”
धर्म परिवर्तन कराने वालों को 7 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा
दरअसल, अक्टूबर में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने राजस्थान विधानसभा द्वारा मानसून सत्र के दौरान पारित ‘राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2025’ को मंजूरी दे दी थी। इस कानून के तहत जबरन, लालच या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने वालों के खिलाफ 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।
जबरन धर्मांतरण के लिए आवश्यक कदम- मंत्री जोगाराम
राज्य के मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा था कि यह कानून देश में बढ़ते जबरन धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए आवश्यक कदम है। उन्होंने एएनआई से कहा, “कांग्रेस विधायक दल में कुछ लोग इस कानून पर चर्चा नहीं चाहते थे। विपक्ष का विरोध निंदनीय था। इसके बावजूद विधानसभा ने इसे पारित कर दिया।”