दिवाली 2025: दिवाली पर प्रदोष काल में करें लक्ष्मी पूजन, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा का महत्व

KNEWS DESK- दिवाली यानी दीपावली, रोशनी और खुशियों का त्योहार, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है ताकि घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास हो। हर साल की तरह इस बार भी लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल को सबसे शुभ माना गया है। आइए जानते हैं कि प्रदोष काल में पूजन क्यों किया जाता है, इसका महत्व क्या है और इस बार का शुभ मुहूर्त कौन-सा रहेगा।

प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, सूर्यास्त के बाद लगभग दो घंटे का समय प्रदोष काल कहलाता है। यह दिन और रात के संधिकाल का समय होता है, जब वातावरण में दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सबसे अधिक रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी समय मां लक्ष्मी पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं और अपने श्रद्धालु भक्तों के घरों में प्रवेश करती हैं।

ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमपूर्वक इस काल में पूजन करता है, उसके घर में धन, वैभव और सुख-समृद्धि स्थायी रूप से वास करती है।

शास्त्रों में प्रदोष काल का वर्णन

धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि दिवाली की रात महालक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। इसलिए दिवाली की पूजा का सर्वोत्तम समय प्रदोष काल ही माना गया है। इस काल में दीपदान और लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व बताया गया है।

इस बार अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:44 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे तक रहेगी।
चूंकि 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल में विद्यमान रहेगी, इसलिए उसी दिन लक्ष्मी पूजन किया जाना शुभ माना गया है।

दिवाली 2025 लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 20 अक्टूबर 2025 को लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए प्रदोष काल और स्थिर लग्न का संयोग अत्यंत मंगलकारी रहेगा। प्रदोष काल: शाम 05:46 बजे से रात 08:18 बजे तक लक्ष्मी पूजन का महा-शुभ मुहूर्त: शाम 07:08 बजे से रात 08:18 बजे तक इस अवधि में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

लक्ष्मी पूजन के लाभ

धन और वैभव की प्राप्ति
मां लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है। उनकी पूजा से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और आर्थिक उन्नति होती है।

सुख-शांति और बुद्धि का वास
भगवान गणेश बुद्धि, विवेक और शुभता के प्रतीक हैं। लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा करने से न केवल धन मिलता है, बल्कि घर में शांति और समझदारी भी बनी रहती है।

व्यापार में वृद्धि
व्यापारी वर्ग इस दिन नए बहीखातों की पूजा करते हैं. ऐसा करने से व्यापार में प्रगति और सफलता का मार्ग खुलता है।

नकारात्मकता का नाश
अमावस्या की अंधेरी रात में दीपक जलाना प्रतीक है। अंधकार पर प्रकाश की जीत का दीपदान से जीवन के अंधकार, नकारात्मकता और पापों का नाश होता है।

इस दिवाली प्रदोष काल में श्रद्धा और भक्ति के साथ लक्ष्मी-गणेश की पूजा करें
मान्यता है कि जो भक्त इस शुभ मुहूर्त में आराधना करता है, उसके घर में पूरे वर्ष सुख, समृद्धि और सौभाग्य का वास होता है।