बिहार चुनाव से पहले जेडीयू में बगावत की लहर, पूर्व मंत्री जयकुमार सिंह समेत कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी, भाजपा में भी मची हलचल

शिव शंकर सविता- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए गठबंधन के भीतर खींचतान और असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। सीट शेयरिंग के बाद जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) में बगावत का दौर शुरू हो गया है। गठबंधन में सीटों के बंटवारे से नाराज कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा देकर नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सबसे बड़ा झटका पार्टी को तब लगा जब पूर्व मंत्री और दिनारा के पूर्व विधायक जयकुमार सिंह ने सोमवार को जेडीयू से इस्तीफा दे दिया। जयकुमार सिंह दिनारा विधानसभा सीट से टिकट की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन सीट राष्ट्रीय लोक जनशक्ति महासंघ (रालोमा) के खाते में चली जाने से वे नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि “पार्टी ने कार्यकर्ताओं की मेहनत और क्षेत्र की भावनाओं की अनदेखी की है। अब जेडीयू में आम कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं बची।”

डॉ अशोक ने समर्थकों समेत थामा बसपा का हाथ

इसी के साथ सासाराम के पूर्व विधायक डॉ. अशोक कुमार ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया। उन्होंने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन थाम लिया और चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। डॉ. अशोक कुमार ने नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि “अब जेडीयू में नेताओं की नहीं, गठबंधन के समीकरणों की राजनीति हो रही है। जनता के बीच जिनका जनाधार है, उन्हें हाशिए पर डाल दिया गया है।”

प्रखंड अध्यक्षों ने भी दिया इस्तीफा

इन इस्तीफों के बाद जेडीयू के अंदर असंतोष की आग और भड़क गई है। खबर है कि पार्टी के पांच प्रखंड अध्यक्षों ने भी पद और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इन नेताओं का कहना है कि पार्टी ने स्थानीय स्तर पर मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया है।

इस्तीफा लहर से भाजपा बेचैन

जेडीयू में शुरू हुई यह ‘इस्तीफा लहर’ अब भाजपा को भी बेचैन कर रही है। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सहयोगी दल में मची बगावत अगर समय रहते नहीं थमी तो इसका असर एनडीए के साझा वोट बैंक पर पड़ सकता है। इस बीच, दोनों दलों के वरिष्ठ नेता डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने भरोसेमंद नेताओं को बागियों से संपर्क साधने और मतभेद दूर करने का निर्देश दिया है।