डिजिटल डेस्क- दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली नरक चतुर्दशी, जिसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व माना जाता है। यह दिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मृत्यु के देवता यमराज की पूजा के लिए समर्पित होता है। मान्यता है कि इस दिन यमराज की पूजा करने और यम दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और व्यक्ति को दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
यम दीपक का महत्व
नरक चतुर्दशी के दिन यम दीपक जलाने की परंपरा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने के लिए दीपक जलाने से मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। दीपक जलाने के समय दिशा और विधि का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
दीपक जलाने की विधि
इस दिन गेहूं के आटे या मिट्टी के चौमुखी दीपक का प्रयोग करना शुभ माना गया है। दीपक में सरसों का तेल डालें और चार बत्तियां लगाएं, जो जीवन के चार दिशाओं में प्रकाश फैलाने का प्रतीक हैं। दीपक को जलाने के बाद पहले घर के सभी कोनों में घुमाएं, ताकि सकारात्मक ऊर्जा पूरे घर में फैले, फिर इसे मुख्य द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में रख दें। दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है, इसलिए इस ओर दीपक जलाना अत्यंत शुभ होता है।
धार्मिक मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध इसी दिन किया था। तभी से यह पर्व अंधकार पर प्रकाश और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक बन गया। लोग इस दिन स्नान, दान और दीपदान कर पापों से मुक्ति की कामना करते हैं।
तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष नरक चतुर्दशी 19 अक्टूबर 2025 (रविवार) को मनाई जाएगी। चतुर्दशी तिथि की शुरुआत दोपहर 1 बजकर 51 मिनट पर होगी और इसका समापन 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगा। मान्यता है कि तड़के या संध्या के समय दीपदान करना सबसे शुभ माना जाता है।