करवा चौथ 2025: करवा चौथ पर पति दूर हो या चांद न दिखे, तो कैसे खोलें अपना व्रत जानिए

KNEWS DESK- करवा चौथ का व्रत भारतीय परंपराओं में पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और दांपत्य सुख के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। वे 16 श्रृंगार करके दुल्हन की तरह सजती हैं, शाम को करवा माता की पूजा करती हैं और चांद निकलने के बाद पति के हाथों पानी पीकर व्रत खोलती हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है जब पति घर पर मौजूद नहीं होते या आसमान में बादलों के कारण चांद नहीं दिखता। ऐसे में व्रत कैसे खोला जाए, आइए जानते हैं सही विधि।

अगर पति घर पर न हों तो ऐसे खोलें करवा चौथ का व्रत

इस साल करवा चौथ शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। अगर किसी कारणवश पति ऑफिस, यात्रा या विदेश में हों, तो चिंता की बात नहीं है। व्रत पूरी श्रद्धा से रखा जा सकता है।

  1. दिनभर नियमपूर्वक निर्जला व्रत रखें और 16 श्रृंगार करें।
  2. शाम को विधिवत करवा माता और भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की पूजा करें।
  3. जब चंद्रमा निकल आए, तो वीडियो कॉल के माध्यम से अपने पति का चेहरा देखें।
  4. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और पति का चेहरा देखकर पानी पीकर व्रत खोलें।
  5. यदि वीडियो कॉल संभव न हो, तो पति की तस्वीर देखकर भी व्रत खोला जा सकता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इससे भी व्रत पूर्ण माना जाता है।

अगर चांद न दिखाई दे तो क्या करें?

कई बार मौसम खराब होने के कारण या बादलों की वजह से चांद दिखाई नहीं देता। ऐसे में व्रत तोड़ा जा सकता है, बस तरीका थोड़ा अलग होता है —

भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा करें। भगवान शिव की ऐसी तस्वीर या मूर्ति के सामने जाएं, जिसमें उनके मस्तक पर चंद्रमा अंकित हो। उस चित्र को देखकर चंद्र देव को प्रणाम करें और प्रार्थना करें। इसके बाद भगवान शिव और अपने पति का ध्यान करते हुए पानी ग्रहण करें। मान्यता है कि भगवान शिव के मस्तक पर स्थित चंद्रमा का दर्शन वास्तविक चंद्र दर्शन के समान ही फलदायी होता है।

    श्रद्धा से खोला गया हर व्रत होता है पूर्ण

    करवा चौथ का असली अर्थ सिर्फ चांद या पति को देखने से नहीं, बल्कि प्रेम, निष्ठा और आस्था से जुड़ा है। अगर मन में सच्ची भावना हो, तो परिस्थितियों से फर्क नहीं पड़ता व्रत उतना ही फलदायी और पवित्र माना जाता है।