बिहार SIR केस: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगी 3.66 लाख हटाए गए मतदाताओं की जानकारी, गुरुवार को होगी अगली सुनवाई

KNEWS DESK- बिहार में चल रही SIR (Systematic Investigation of Roll) प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम आदेश जारी किया। कोर्ट ने चुनाव आयोग से उन 3.66 लाख मतदाताओं का पूरा ब्योरा मांगा है, जिन्हें एसआईआर की अंतिम मतदाता सूची से बाहर रखा गया है।

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने अदालत को बताया कि अंतिम सूची में शामिल अधिकांश नाम नए मतदाताओं के हैं, जबकि कुछ पुराने मतदाता भी जोड़े गए हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक किसी भी बहिष्कृत मतदाता ने न तो कोई शिकायत दर्ज कराई है और न ही अपील दायर की है। इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार दोपहर 3:45 बजे होगी।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख: “अगर कोई वाकई पीड़ित है, तो हम सुनेंगे”

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से पूछा — SIR प्रक्रिया से प्रभावित लोग कहां हैं?” इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि “मैं 100 ऐसे लोगों को अदालत में ला सकता हूं। आपको जितने लोग चाहिए, मैं पहले भी ऐसा कर चुका हूं।” जस्टिस सूर्यकांत ने जवाब दिया — “अगर कोई व्यक्ति वास्तव में पीड़ित है और सामने आता है, तो हम चुनाव आयोग को जरूरी निर्देश दे सकते हैं।”

“चुनाव आयोग को बदनाम करना बंद करें” -वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया

वहीं, एक अन्य आवेदक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने कहा कि कुछ लोग सार्वजनिक मंचों पर “वोट चोरी” जैसे आरोप लगाकर चुनाव आयोग को बदनाम कर रहे हैं, उन्हें ऐसा करने से रोका जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि “सुप्रीम कोर्ट पहले से निगरानी कर रहा है, इसलिए समानांतर बहस या आरोप लगाने की कोई जरूरत नहीं है।” हंसारिया ने यह भी सुझाव दिया कि एसआईआर प्रक्रिया अन्य राज्यों में भी लागू की जानी चाहिए। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि “हमने केवल उस राज्य में निगरानी की है जहां SIR लागू हुई है। बाकी राज्यों में इसे शुरू करना चुनाव आयोग का अधिकार क्षेत्र है।”

कोर्ट ने मांगा तुलनात्मक डेटा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों के पास मतदाता सूची का मसौदा और अंतिम सूची उपलब्ध है। इसलिए दोनों सूचियों का तुलनात्मक विश्लेषण कर आंकड़े अदालत में पेश किए जा सकते हैं। जस्टिस बागची ने चुनाव आयोग का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा कि अदालत के आदेशों से अब चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और आम जनता की पहुंच बढ़ी है।

“अतिरिक्त मतदाताओं की पहचान स्पष्ट होनी चाहिए”

कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि अंतिम सूची में मतदाताओं की संख्या बढ़ी है, इसलिए किसी भी भ्रम से बचने के लिए जो नए मतदाता जोड़े गए हैं, उनकी पहचान का खुलासा किया जाना जरूरी है। जस्टिस बागची ने स्पष्ट किया —“आप किसी को लिस्ट से हटा रहे हैं तो कृपया नियम 21 और SOP का पालन करें। पारदर्शिता और प्रक्रिया की शुचिता चुनावी प्रणाली की नींव है।”

अगली सुनवाई गुरुवार को

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को निर्देश दिया है कि वे गुरुवार तक सभी आवश्यक दस्तावेज और डेटा प्रस्तुत करें। मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर, गुरुवार दोपहर 3:45 बजे निर्धारित की गई है।