दीपावली 2025: दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट से मांगेगी ग्रीन पटाखों की अनुमति, CM रेखा गुप्ता बोलीं – जनभावनाओं और पर्यावरण में चाहिए संतुलन

KNEWS DESK- दीपावली के पर्व को लेकर राजधानी दिल्ली में एक बार फिर पटाखों पर प्रतिबंध बनाम जनभावनाओं की बहस तेज हो गई है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रविवार को घोषणा की कि उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपील करेगी कि इस साल दीपावली के अवसर पर प्रमाणित ग्रीन पटाखों के सीमित उपयोग की अनुमति दी जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार जनभावनाओं और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाना चाहती है। उन्होंने कहा, “दीपावली दिल्ली के लिए सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह आर्थिक और सांस्कृतिक उत्सव भी है। दिल्लीवासी आतिशबाजी के शौकीन हैं, लेकिन प्रदूषण के कारण बीते वर्षों में इस पर प्रतिबंध लगा रहा है। अब समय है कि हम सुरक्षित, नियंत्रित और प्रमाणित ग्रीन पटाखों के साथ इसका समाधान निकालें।”

सीएम रेखा गुप्ता ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट को यह आश्वस्त करेगी कि अगर अनुमति मिलती है तो सभी ग्रीन पटाखे सरकार से प्रमाणित संस्थानों से लिए जाएंगे, निर्धारित समय सीमा और नियमों का सख्ती से पालन होगा, ग्रीन पटाखों के निर्माण, बिक्री और वितरण की पारदर्शी निगरानी की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पिछले वर्षों के अनुभवों से यह साफ हुआ है कि पूर्ण प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं रहा। चोरी-छिपे अवैध पटाखों के प्रयोग ने प्रदूषण पर अंकुश नहीं लगाया, बल्कि हालात और गंभीर हो गए।

2017: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और उपयोग पर अस्थायी रोक लगाई

2018: कोर्ट ने ग्रीन पटाखों को 8 से 10 बजे तक जलाने की सशर्त अनुमति दी, लेकिन वितरण की व्यवस्था स्पष्ट न होने से रोक जारी रही

2020: NGT ने वायु गुणवत्ता के आधार पर पटाखों पर सख्त प्रतिबंध लगाया

2023: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ग्रीन पटाखों पर सार्वभौमिक प्रतिबंध नहीं है, राज्य स्थानीय स्थिति के अनुसार निर्णय ले सकते हैं

दिल्ली में अब तक वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) हर साल दीपावली के समय गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है। पिछली सरकारों ने इसी आधार पर प्रतिबंध को उचित ठहराया था।

रेखा गुप्ता सरकार का यह कदम एक नवीन रणनीति की ओर इशारा करता है – जिसमें पूरी तरह प्रतिबंध की जगह नियंत्रित अनुमति और प्रशासनिक निगरानी का मॉडल अपनाया जाएगा। सरकार का मानना है कि यदि ग्रीन पटाखों के उपयोग को वैज्ञानिक और व्यावहारिक तरीके से नियंत्रित किया जाए, तो जनभावनाएं भी संतुष्ट होंगी और प्रदूषण भी नियंत्रित रहेगा।