KNEWS DESK – फिल्मी पर्दे पर अपनी बेहतरीन कॉमेडी और शानदार अदाकारी से दर्शकों को हंसाने वाले संजय मिश्रा की जिंदगी पर्दे के पीछे उतनी आसान नहीं रही, जितनी परदे पर दिखती है. 6 अक्टूबर 1963 को जन्मे संजय मिश्रा आज 62वां जन्मदिन मना रहे हैं. लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने का उनका सफर संघर्ष और मुश्किलों से भरा रहा है.
पढ़ाई में मन नहीं, लेकिन एक्टिंग में टॉप
संजय मिश्रा के पिता चाहते थे कि बेटा कुछ बड़ा करे, लेकिन उनका मन कभी पढ़ाई में नहीं लगा. पिता के कहने पर उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में दाखिला लिया और हैरानी की बात यह रही कि उन्होंने एंट्रेंस एग्जाम में टॉप किया. यह वही शुरुआत थी जिसने उनके एक्टिंग करियर की नींव रखी.
शाहरुख की फिल्म से की शुरुआत
कॉलेज खत्म होने के बाद संजय मिश्रा ने कई तरह के काम किए| यहां तक कि एक वक्त वो फोटोग्राफर भी बन गए. बॉलीवुड में उन्हें शुरूआती दिनों में काफी रिजेक्शन झेलना पड़ा. आखिरकार मौका मिला शाहरुख खान की फिल्म ‘ओह डार्लिंग! ये है इंडिया’ में, जहां उन्होंने ‘हारमोनियम मैन’ का छोटा लेकिन यादगार रोल निभाया. इसके बाद उन्होंने टीवी शो और फिल्मों में छोटे-बड़े किरदार किए, लेकिन सफलता अभी दूर थी.

जब हालात ने तोड़ दिया मनोबल
एक वक्त ऐसा आया जब एक्टर के पास रेंट देने तक के पैसे नहीं बचे थे. हालत इतनी खराब हो गई कि डॉक्टर ने उन्हें कुछ समय तक काम न करने की सलाह दी. उसी दौरान उनके पिता का निधन हो गया और यह झटका उन्हें अंदर तक तोड़ गया. उन्होंने एक्टिंग छोड़ने का फैसला कर लिया और ऋषिकेश जाकर 150 रुपए महीने की सैलरी पर एक ढाबे में काम करने लगे.

रोहित शेट्टी बने किस्मत के सितारे
संजय मिश्रा के परिवार वालों को भी नहीं पता था कि वो कहां हैं. लेकिन ढाबे पर आने वाले कुछ लोगों ने उन्हें पहचान लिया और उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. यहीं से किस्मत ने करवट ली.
डायरेक्टर रोहित शेट्टी उस वक्त अपनी फिल्म ‘ऑल द बेस्ट’ के लिए एक कॉमिक एक्टर की तलाश कर रहे थे. जब उन्हें संजय मिश्रा के बारे में पता चला, तो उन्होंने तुरंत उन्हें कॉल किया और फिल्म में मौका दिया. यही फिल्म बनी संजय मिश्रा के करियर का टर्निंग पॉइंट.
आज संजय मिश्रा सिर्फ एक कॉमेडियन नहीं, बल्कि एक ऐसे कलाकार हैं जो किसी भी किरदार में जान डाल देते हैं — चाहे वो ‘आंखों देखी’ जैसे इमोशनल रोल हों या ‘गोलमाल’ जैसी कॉमिक फिल्में.