RSS की शताब्दी वर्षगांठ में बोले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, ” संघ के अनुशासन और सादगी देख प्रभावित हुए थे गांधी जी”

डिजिटल डेस्क- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने गुरुवार 2 अक्तूबर, विजयादशमी के दिन अपनी शताब्दी वर्षगांठ मनाई। इस अवसर पर संघ के शताब्दी समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने अपने संबोधन में संघ के महत्व, उसके समरस और संगठित स्वरूप तथा समाज में उसके योगदान पर प्रकाश डाला।

संगठन-निष्ठता और तत्त्व-निष्ठता संघ की शक्ति

रामनाथ कोविंद ने कहा कि संघ की कार्यशैली व्यक्ति-निष्ठ नहीं, बल्कि संगठन-निष्ठ और तत्त्व-निष्ठ है। यही संघ की शक्ति है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले सौ वर्षों में संघ ने समरस, संगठित और समावेशी समाज के निर्माण के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। संघ ने संत-परंपरा, सज्जन-शक्ति और मातृ-शक्ति के योगदान से समाज और राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोया है। कोविंद ने उम्मीद जताई कि भविष्य में संघ का और अधिक विस्तार होगा और जमीनी स्तर पर सामाजिक समरसता और न्याय के पक्ष में संघ के स्वयंसेवक और अधिक सक्रिय रहेंगे।

समरसता दर्शन देख प्रभावित हुए पूर्व राष्ट्रपति

पूर्व राष्ट्रपति ने इतिहास के उदाहरणों के जरिए संघ के समरसतापूर्ण दर्शन की सराहना की। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भी संघ के शिविर में अनुशासन, सादगी और छुआछूत की समाप्ति देखकर अत्यंत प्रभावित हुए थे। गांधीजी ने 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में आयोजित संघ की रैली में कहा था कि वे संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार के जीवनकाल में संघ के एक शिविर में गए थे और संघ के अनुशासन और समरस व्यवहार से प्रभावित हुए।

बाबासाहेबी भीमराव आंबेडकर पर भी डाला प्रकाश

कोविंद ने बाबासाहब आंबेडकर का भी उल्लेख किया। जनवरी 1940 में महाराष्ट्र के सातारा जिले के कराड़ नगर में बाबासाहब संघ की शाखा में गए थे। उन्होंने संघ के स्वयंसेवकों से मिलकर अपनेपन की भावना व्यक्त की और आवश्यकता पड़ने पर मदद का आश्वासन दिया। इस घटना का विवरण ‘केसरी’ और बाबासाहब के अपने साप्ताहिक पत्र ‘जनता’ में प्रकाशित हुआ था। कोविंद ने इसे संघ के समरसतापूर्ण दृष्टिकोण और समाज में सहयोग की भावना का ऐतिहासिक प्रमाण बताया।