डिजिटल डेस्क- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने गुरुवार को नागपुर के रेशमबाग में विजयादशमी समारोह का भव्य आयोजन किया। यह समारोह खास इसलिए रहा क्योंकि संघ इस वर्ष अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा है। कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत का वार्षिक संबोधन केंद्र में रहा, जिसमें उन्होंने समाज, देश और विश्व से जुड़े अनेक मुद्दों पर अपने विचार रखे। समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। बुधवार को ही नागपुर पहुंचने के बाद उन्होंने दीक्षाभूमि जाकर डॉ. भीमराव आंबेडकर को नमन किया था। इस अवसर पर 21,000 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया, जबकि देशभर की 83,000 से अधिक शाखाओं में भी विजयादशमी उत्सव मनाया गया।
पड़ोसी देशों की उथल-पुथल चिंता का विषय
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने पड़ोसी देशों में जारी अस्थिरता पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “प्रजातांत्रिक मार्गों से परिवर्तन आते हैं, लेकिन उथल-पुथल और तथाकथित क्रांतियां किसी उद्देश्य को पूरा नहीं करतीं। पड़ोसी देशों में जो हलचल है, वह हमारे लिए चिंता का विषय है, क्योंकि वे हमारे ही हैं, हम केवल पड़ोसी नहीं बल्कि आत्मीय संबंध से जुड़े हैं।
कानून हाथ में लेने की प्रवृत्ति गलत
भागवत ने समाज में बढ़ते असंतोष और असामाजिक प्रवृत्तियों पर चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि विविधताओं के बावजूद हम एक ही बड़े समाज के अंग हैं। भिन्नता खानपान और रहन-सहन की है, लेकिन आपसी व्यवहार सद्भावपूर्ण रहना चाहिए। कानून हाथ में लेकर निकल आना उचित प्रवृत्ति नहीं है। किसी समुदाय विशेष को उकसाने की प्रवृत्ति रोकनी होगी। समाज की सज्जन शक्ति को सजग होकर अराजकता को रोकना पड़ेगा।
हिंदू एकता पर जोर
संघ प्रमुख ने हिंदुओं की एकता को समय की आवश्यकता बताया। उन्होंने कहा कि हिंदुओं का संगठित होना ही सुरक्षा की गारंटी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले 100 वर्षों से इसी उद्देश्य के लिए कार्य कर रहा है। जब समाज संगठित होकर आचरण में बदलाव लाता है, तभी व्यवस्था परिवर्तन संभव होता है।
विश्व व्यवस्था में परिवर्तन की जरूरत
भागवत ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी नए मार्ग की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि विश्व की वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन आवश्यक है। हमें धर्म की दृष्टि देनी होगी। ऐसा धर्म जो सबको जोड़ने वाला हो। सौ वर्षों के अनुभव से संघ मानता है कि भारत ही इस दिशा में दुनिया को राह दिखा सकता है।