विजयादशमी 2025: विजयादशमी के दिन क्यों की जाती है अस्त्र-शस्त्र की पूजा? जानिए आयुध पूजा का महत्व, परंपरा और शुभ मुहूर्त

KNEWS DESK- हिंदू धर्म में विजयादशमी का पर्व असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है। हर साल आश्विन मास की दशमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था और माता दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था। इसलिए यह दिन विजय का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष विजयादशमी का पर्व 2 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा।

आयुध पूजा क्या है?

विजयादशमी के दिन की जाने वाली विशेष पूजा को आयुध पूजा या शस्त्र पूजा कहा जाता है। दक्षिण भारत और देश के कई हिस्सों में इस परंपरा का पालन किया जाता है। इस दिन न केवल देवी-देवताओं की पूजा होती है, बल्कि अस्त्र-शस्त्र, औजार, मशीनें और वाहन भी पूजे जाते हैं। यह परंपरा इस भाव को दर्शाती है कि जिन साधनों से हम जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं, उनका सम्मान करना भी उतना ही आवश्यक है।

आयुध पूजा का महत्व

  1. विजय का प्रतीक – भगवान श्रीराम और माता दुर्गा की विजय की स्मृति में अस्त्र-शस्त्र पूजनीय माने जाते हैं।
  2. उपकरणों का आदर – विद्यार्थी अपनी पुस्तकों की, व्यापारी अपने बहीखातों की, सैनिक अपने हथियारों की और कलाकार अपने औजारों की पूजा करते हैं।
  3. आभार प्रकट करने की परंपरा – यह पूजा हमें यह याद दिलाती है कि हमारे उपकरण ही हमारी सफलता और आजीविका का आधार हैं।
  4. क्षत्रिय परंपरा – प्राचीन समय में योद्धा और राजा इस दिन युद्ध से पूर्व अपने अस्त्र-शस्त्रों की पूजा करते थे।

विजयादशमी 2025 आयुध पूजा का शुभ मुहूर्त

  • दशमी तिथि आरंभ: 1 अक्टूबर 2025, शाम 7:01 बजे
  • दशमी तिथि समाप्त: 2 अक्टूबर 2025, शाम 7:10 बजे
  • विजय मुहूर्त: 2 अक्टूबर 2025, दोपहर 2:09 से 2:56 बजे तक (कुल 47 मिनट)
  • इस अवधि में शस्त्र या उपकरणों की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

आयुध पूजा की विधि

  1. जिन अस्त्र-शस्त्र या उपकरणों की पूजा करनी है, उन्हें पहले अच्छे से साफ करें।
  2. पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर उन उपकरणों को रखें।
  3. गंगाजल से छिड़काव करें और रोली, चंदन व कुमकुम का तिलक लगाएं।
  4. फूल, माला और वस्त्र अर्पित करें।
  5. मिठाई या नैवेद्य का भोग लगाएं।
  6. अंत में धूप-दीप जलाकर आरती करें और यह प्रार्थना करें कि ये उपकरण आपके कार्य में सफलता और सुरक्षा प्रदान करें।

इस प्रकार, विजयादशमी के दिन आयुध पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि जीवन में सफलता दिलाने वाले साधनों के प्रति आभार व्यक्त करने की परंपरा भी है।