होटल में छिपा बैठा था आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती, यौन शोषण केस में कई नए खुलासे

KNEWS DESK- 17 छात्राओं के यौन शोषण का आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती दिल्ली से फरार होने के बाद आगरा के एक होटल में छिपा बैठा था। पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले उसने होटल में बेहद कठोर और अजीब नियम लागू कर रखे थे। हाउसकीपिंग स्टाफ को साफ निर्देश दिए गए थे कि बिना अनुमति कमरे में प्रवेश न करें, और जो नहाया न हो, वह तो कमरे में घुसने का सोचे भी नहीं। यहां तक कि कमरे में चप्पल उतारकर आने की भी हिदायत थी।

होटल पहुंचने के बाद भी चैतन्यानंद लगातार अपने टैक्सी चालक टीटू के संपर्क में था। वह व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से बातें कर रहा था और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वह रविवार को कहीं और जाने की योजना बना रहा था।

रात करीब 8 बजे उसने फलाहार मंगवाया, जिसके लिए टैक्सी चालक ने होटल के पास के एक रेस्तरां कर्मचारी देवा से संपर्क किया। पहले तो मना किया गया, लेकिन बाद में आलू तैयार करवाकर खाना भेजा गया। एक घंटे बाद फिर कॉल आया और इस बार व्रत के लिए कुट्टू की पूरी और सब्जी मंगाई गई।

देवा ने बताया कि दोनों बार भोजन पहुंचा दिया गया, लेकिन भोजन का भुगतान नहीं किया गया। बाद में जब बिल के भुगतान के लिए चालक को कॉल किया गया, तो न तो टीटू ने कॉल उठाया, न ही आरोपी के सहयोगी कौशल ने।

होटल कर्मचारियों ने बताया कि आरोपी स्वामी पार्थ सारथी के नाम से चेक-इन हुआ था। होटल का किराया भी नहीं चुकाया गया। जब स्टाफ ने रकम मांगने का प्रयास किया, तो वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने कह दिया, “अगर पैसा चाहिए तो दिल्ली जाकर मांग लेना।”

जानकारी के अनुसार, आरोपी चैतन्यानंद सरस्वती 4 अगस्त को दिल्ली से फरार हुआ था और 27 सितंबर की शाम करीब चार बजे आगरा के होटल में आकर कमरा नंबर 101 में ठहरा। जांच में यह भी सामने आया है कि उसने प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अपने बैंक खाते से 50 लाख रुपये से अधिक की राशि निकाल ली।

अधिकारियों के अनुसार, आरोपी ने बैंक खाता खुलवाते समय विभिन्न फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद आरोपी के वकील ने कोर्ट में कहा, “मेरे मुवक्किल (चैतन्यानंद) से फोन, आईपैड और अन्य निजी सामान जब्त कर लिया गया है। वह मधुमेह से पीड़ित हैं और उन्हें घबराहट होती है। भिक्षु के वस्त्र भी छीन लिए गए हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि यदि पुलिस को महिला सुरक्षा का खतरा लगता है, तो आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेजा जाए न कि पुलिस रिमांड में। वहीं, पीड़िताओं के वकील ने जोर देकर कहा कि, “पुलिस हिरासत जरूरी है, क्योंकि आरोपी को पीड़िताओं के बयान और डिजिटल सबूतों के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी होगी। एक गवाह ने स्पष्ट कहा है कि शिकायत करने पर उसे ‘उठा’ लिया जाएगा।”

उन्होंने यह भी बताया कि आरोपी अब तक जांच में सहयोग नहीं कर रहा है और उसने आईक्लाउड व आईपैड के पासवर्ड तक नहीं बताए हैं।